"टैंगो चार्ली (2005 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
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==उत्तर-पूर्वी राज्य==
तरुण चौहान की पोस्टिंग मणिपुर में होती है. जहाँ उसकी मुलाकात हवलदार मुहम्मद अली (अजय देवगन) के लगाए जाल में फंसने के बाद होती है । इस लापरवाही के चलते मुहम्मद उसे बेवकूफ कहता है, मुहम्मद अली उससे सवाल करता है की उसने सेना की नौकरी क्यों चुनी ? तरुण जवाब देता है की वो सिर्फ़ देशभक्ति और देशसेवा के खातिर यहां आया है । इस पर मुहम्मद उसे यथार्थ से परिचित कर कहता है कि ऐसी बातें कहने वाले ज्यादातर गलतफहमी में रहते है वास्तव में इस नौकरी के बदौलत सिर्फ कर्ज चुका रहा है । यहां चुंकि ज्यादातर वक्त पहरेदारी के
फिर पेट्रोलिंग के एक रोज उनकी एक टुकड़ी बोडो गुट के द्वारा उनके भेजे घायल सिपाही के जाल में फंसती है, माइक अल्फा की टीम बिखर जाती है, तरुण भी बोडो दल के लीडर (केली दोरजी) के हाथो फंसता है पर माइक उसे बचा लेता है । बोडो लीडर उनका सबसे कम उम्र का जवान बीजु (विशाल ठक्कर) को ले जाते है, और पेड़ पर बांध उसकी पेट की आंते काटकर उसे तड़पता छोड़ अपने दल के साथ छुप बाकी सिपाहियों के आने का इंतजार करता है ।
तरुण के लिए यह पल बहुत विचलित और विवशता भरे हुए होते है, मुहम्मद उसे जज्बाती होकर किसी भी जल्दबाजी करने से मना करता है और उनके अगली हरकत तक वे भावहीन होकर इंतजार करते है । लेकिन बीजु को तड़पता देख उनका सिपाही (शाहबाज खान) उसे माॅर्फिन की सिरिंज देने की नाकाम कोशिश में बोडो लीडर उसे मार गिराता है, बीजु दर्द से तड़पता हुआ आखिर में मर जाता है जहाँ बोडो गुट के सामने आते ही माइक, भीखु (सुदैश बैरी) और तरुण उन पर गोलियों की बारिश करते है, गुट के लोग मारे जाते हैं लेकिन लीडर अपने कुछ लोगो साथ भाग निकलता है । भीखु पीछा करने दौरान घायल होता है ।
और रात घिरने पर माइक और तरुण अंधेरे में बोडो दस्ते को एक-एक कर खत्म करता है, लीडर अपने दो बंदूकधारियों साथ नाव में नदी पार करता करने के क्रम में माइक और तरुण के हाथों पड़ जाते है, इस हाथापाई में माइक लीडर की गर्दन काट देता है, तरुण भी एक को खत्म कर तीसरे को ढुंढ निकालता है, लेकिन उसका दुश्मन एक सोलह साल का लड़का मिलता है ।
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