"ब्रह्मगुप्त": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
सन्दर्भ के लिए ब्लॉग की कड़ी का उपयोग किया गया था जिसे विश्वसनीय स्रोत नहीं माना जा सकता |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 24:
"ब्रह्मस्फुटसिद्धांत" के साढ़े चार अध्याय मूलभूत गणित को समर्पित हैं। १२वां अध्याय, गणित, अंकगणितीय शृंखलाओं तथा ज्यामिति के बारे में है। १८वें अध्याय, कुट्टक ([[बीजगणित]]) में [[आर्यभट्ट]] के रैखिक [[अनिर्धार्य समीकरण]] (linear indeterminate equation, equations of the form '''ax − by = c''') के हल की विधि की चर्चा है। ([[बीजगणित]] के जिस प्रकरण में अनिर्धार्य समीकरणों का अध्ययन किया जाता है, उसका पुराना नाम ‘[[कुट्टक]]’ है। ब्रह्मगुप्त ने उक्त प्रकरण के नाम पर ही इस विज्ञान का नाम सन् ६२८ ई. में ‘कुट्टक गणित’ रखा।)<ref>{{cite web |url= http://pustak.org/bs/home.php?bookid=2558|title= वैदिक बीजगणित
|accessmonthday=[[१२ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= पीएचपी|publisher=भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref>
ब्रह्मगुप्त ने द्विघातीय
|