"सपुष्पक पौधा": अवतरणों में अंतर

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=== पुष्प ===
[[चित्र:Magnolia liliiflora3.jpg|right|thumb|300px|मैग्नोलिया लिलिफ्लोरा का पुष्प]]
संवृतबीजी के [[पुष्प]] नाना प्रकार के होते हैं और इन्हीं की बनावट तथा अन्य गुणों के कारण संवृतबीजी का [[वर्गीकरण]] किया गया है। [[परागण]] के द्वारा पौधों का [[निषेचन]] होता है। निषेचन के पश्चात् भ्रूण धीरे धीरे विभाजित होकर बढ़ता चलता है। इसकी भी कई रीतियाँ हैं जिनका भारतीय वनस्पति विज्ञानी महेश्वरी ने कॉफी विस्तार से अध्ययन किया है। भ्रूण बढ़ते बढ़ते एक या दो दलवाले बीज बनाता है, परंतु उसके चारों तरफ का भाग अर्थात् अंडाशय, तथा स्त्रीकेसर (pistil) का पूरा भाग बढ़कर फल को बनाता है। बीजों को ये ढँके रहते हैं। इसी कारण इन बीजों को आवृतबीजी या संवृतबीजी कहते हैं। फल भी कई प्रकार के होते हैं, जिनमें मनुष्य के उपयोग में कुछ आते हैं। [[सेब]] में पुष्पासन (thalamus) का भाग, [[अमरूद]] में पुष्पासन तथा फलावरण, बेल में बीजांडासन (placents) का भाग, [[नारियल]] में भ्रूणपोष (endosperm) का भाग खाया जाता है।