"अंधविश्वास": अवतरणों में अंतर
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== भारत में अन्धविश्वास। ==
भारत में अंधविश्वास एक व्यापक सामाजिक समस्या माना जाता है। लोग यह कहते है कि अंधविश्वासों का कारण शिक्षा की कमी है। लेकिन भारत में शिक्षित लोगों को भी अंधविश्वासी माना जा सकता है। अंधविश्वासों के विश्वासों और प्रथाओं के कई प्रकार है और भारत के अनेक क्षेत्रों में अपने अलग-अलग अंधविश्वासों प्रचलित है।
अंधविश्वासों के प्रथाओं हानिरहित हो सकते है, जैसे कि बुरी नजर दूर रखने वाली नींबू-और-मिर्च। मगर वे डायन-जल की तरह गंभीर भी हो सकते है।
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=== सूर्य डूबने के बाद सफाई ===
भारत के अनेक अन्धविश्वासो में से एक यह कहता है कि सूर्य डूबने के बाद हमे घर की सफाई नही करना चाहिए। एसा करना हमारे जीवन में दुर्भाग्य लाएगा। माना जाता है कि इस कर्य करने से हम अपने जीवन से भाग्य को निकाल रहे है।
लेकिन इस अन्धविश्वास के पीछे एक कारण है। पहले के ज़माने में प्रकाश प्रणालियों अच्छे नहीं थे। सफाई करने के समय कुछ छोटा गिरा हो तो धूल के साथ भूल से उसे भी फेंक दिया जाता। इस कारण क़ीमती सामान का खो जाने का डर रहता था। अन्य कारण यह है कि झाड़ू के टुकड़े दीपक पर गिर सकते थे, जिस्से आग का खतरा पैदा होता।
इन कारणों की वजह से यह अन्धविश्वास पैदा हुअ।
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=== अनुशठान के उपहार में एक रुपय जोड़ना शुभ है ===
भारत में कोई भी अनुशठान या शादी में एक रुपय देने का प्रचलन है। कुल में एक रुपय और देने को शुभ माना जाता है।
इसके कई कारण है। कुछ मानते है कि इस्से किसमत चमकती है, कुछ के लिये यह बड़ों का प्यार और आशीर्वाद, और कुछ के लिये यह जिंदगी के नए पडाव की शुरुआत के बराबर है।
कुछ एसा भी मानते है कि एक रुपय बढ़ाने से कुल का भाग करना कठिन हो जाएगा। अगर ना बढ़ाया जाये तो कुल के दो बराबर भाग किये जा सकते है और इसे अशुभ माना जाता है। इसलिए, खासकर व्याह के घरों में ये काफी प्रचलित है।
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