"अंधविश्वास": अवतरणों में अंतर

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== अंधविश्वासों का वर्गीकरण ==
अंधविश्वासों का सर्वसम्मत वर्गीकरण संभव नहीं है। इनका नामकरण भी कठिन है। [[पृथ्वी]] [[शेषनाग]] पर स्थित है, [[वर्षा]], गर्जन और बिजली [[इंद्र]] की क्रियाएँ हैं, भूकंप की अधिष्ठात्री एक देवी है, रोगों के कारण प्रेत और पिशाच हैं, इस प्रकार के अंधविश्वासों को प्राग्वैज्ञानिक या धार्मिक अंधविश्वास कहा जा सकता है। अंधविश्वासों का दूसरा बड़ा वर्ग है मंत्र-तंत्र। इस वर्ग के भी अनेक उपभेद हैं। मुख्य भेद हैं रोग निवारण, वशीकरण, उच्चाटन, मारण आदि। विविध उद्देश्यों के पूर्त्यर्थ मंत्र प्रयोग प्राचीन तथा मध्य काल में सर्वत्र प्रचलित था। [[मंत्र]] द्वारा रोग निवारण अनेक लोगों का व्यवसाय था। विरोधी और उदासीन व्यक्ति को अपने वश में करना या दूसरों के वश में करवाना मंत्र द्वारा संभव माना जाता था। उच्चाटन और मारण भी मंत्र के विषय थे। मंत्र का व्यवसाय करने वाले दो प्रकार के होते थे-मंत्र में विश्वास करने वाले और दूसरों को ठगने के लिए मंत्र प्रयोग करने वाले।
 
== भारत में अन्धविश्वास। ==
भारत में अंधविश्वास एक व्यापक सामाजिक समस्या माना जाता है। लोग यह कहते है कि अंधविश्वासों का कारण शिक्षा की कमी है। लेकिन भारत में शिक्षित लोगों को भी अंधविश्वासी माना जा सकता है। अंधविश्वासों के विश्वासों और प्रथाओं के कई प्रकार है और भारत के अनेक क्षेत्रों में अपने अलग-अलग अंधविश्वासों प्रचलित है।
 
अंधविश्वासों के प्रथाओं हानिरहित हो सकते है, जैसे कि बुरी नजर दूर रखने वाली नींबू-और-मिर्च। मगर वे डायन-जल की तरह गंभीर भी हो सकते है।
 
=== नज़र बट्टू ===
उत्तर भारत और पाकिस्तान में नींबू को शुभ माना जाता है और अनेको अनुशठान मे इसका प्रयोग किया जाता है। नींबू और मिर्च के गाठ-बन्धन नए घरों और दुकानो के द्वार पर लगाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करना बुरे आत्माओं और अपशगुन दूर करता है। इस गाठ-बन्धन का नाम नज़र-बट्टू है और इस्मे ७ मिर्च और १ नींबू का प्रयोग होता है। नज़र बट्टू को दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक बदला जाता है।
 
=== सूर्य डूबने के बाद सफाई ===
भारत के अनेक अन्धविश्वासो में से एक यह कहता है कि सूर्य डूबने के बाद हमे घर की सफाई नही करना चाहिए। एसा करना हमारे जीवन में दुर्भाग्य लाएगा। माना जाता है कि इस कर्य करने से हम अपने जीवन से भाग्य को निकाल रहे है।
 
लेकिन इस अन्धविश्वास के पीछे एक कारण है। पहले के ज़माने में प्रकाश प्रणालियों अच्छे नहीं थे। सफाई करने के समय कुछ छोटा गिरा हो तो धूल के साथ भूल से उसे भी फेंक दिया जाता। इस कारण क़ीमती सामान का खो जाने का डर रहता था। अन्य कारण यह है कि झाड़ू के टुकड़े दीपक पर गिर सकते थे, जिस्से आग का खतरा पैदा होता।
इन कारणों की वजह से यह अन्धविश्वास पैदा हुअ।
 
=== अनुशठान के उपहार में एक रुपय जोड़ना शुभ है ===
भारत में कोई भी अनुशठान या शादी में एक रुपय देने का प्रचलन है। कुल में एक रुपय और देने को शुभ माना जाता है।
 
इसके कई कारण है। कुछ मानते है कि इस्से किसमत चमकती है, कुछ के लिये यह बड़ों का प्यार और आशीर्वाद, और कुछ के लिये यह जिंदगी के नए पडाव की शुरुआत के बराबर है।
कुछ एसा भी मानते है कि एक रुपय बढ़ाने से कुल का भाग करना कठिन हो जाएगा। अगर ना बढ़ाया जाये तो कुल के दो बराबर भाग किये जा सकते है और इसे अशुभ माना जाता है। इसलिए, खासकर व्याह के घरों में ये काफी प्रचलित है।
 
== जादू, टोना ==