"जेन गुडाल": अवतरणों में अंतर
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अफ्रीका
गिदाल को बचपन से ही अफ्रीका एवं जानवरों में बदीं रुची थी। वह अपनी इसी रुची के कारण १९५७ में केन्या गयी।
काम
गोम्बे स्ट्रीम राष्ट्रीय उद्यान में रिसर्च
चिम्पांजियों की [[समाज|सामाजिक]] और पारिवारिक जीवन के अध्ययन के लिए जेन गुडाल प्रसिद्ध हैं। इन्होंने तंजानिया के गोम्बे स्ट्रीम राष्ट्रीय उद्यान में कसाकेला चिम्पांजि समुदाय पर १९६० में अपना अध्ययन शुरु किया। उन्होंने कॉलेजिएट परिक्षण के बिना उन चीजों पर अनुसंधान किया जो सख्त वैज्ञानिक सिद्धान्तो ने अनदेखा कर दिया था। गोम्बे स्ट्रीम में गुडाल का अनुसंधान, दो लंबे समय से चली आ रही मान्यताओं को चुनौती देने के लिए वैज्ञानिक समुदाय में प्रसिद्ध था - एक की सिर्फ मानव ही उपकरणों का निर्माण और उपयोग करना जानते हैं और दूसरा की चिम्पांजि साकाहारी होते हैं।
गोम्बे स्ट्रीम में गुडाल ने चिम्पांजि के शांतिपूर्ण और स्नेही व्यवहार के विपरीत उनका आक्रमक पक्ष भी पाया।
गुडाल दुनिया के सबसे बडे चिम्पांजि अभयरण - 'किलें मे चिम्प्स सहेंतें पियर्स, फ्लोरिडा' की सदस्य हैं।
२०११ में गुडाल ऑस्ट्रेलियाई पशु संरक्षण समूह - बेजबान, पशु संरक्षण संस्थान की संरक्षक बनी।
पुरस्कार और मान्यता
गुडाल को पर्यावरण और मानवीय कार्य एवं कई दूसरे कार्यों के लिये सम्मान मिला है। २००४ में बिंकिघम पैलेस मेम आयोजित एक समारोह में गुडाल को ब्रिटिश साम्राज्य की डेम कमांडर बनाया गया।
पुरस्कार
१९८० - गोल्डन आर्क, विश्व वन्यजीव संरक्षण के लिए पुरस्कार
१९८४ - जे पोल गेट्टी वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार
१९८९ - एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका पुरस्कार
१९९१ - द एडिनबर्ग पदक
१९९६ - लंदन के जूलोजिकल सोसायटी रजत पदक
१९९७ - जोन और ऐलिस टायलर पुरस्कार
यह उन कुछ पुरस्कारों की सूची है जो जेन गुडाल को मिली हैं। इस्के अतिरिक्त भी जेन को कई अन्य मान्यताओं और पुरस्कारों से नवाजा गया है।
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