"विकासात्मक मनोविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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===संदर्भ===
मानव विकास
 
===(४) बचपन===
बचपन मानसिक विकास का चौथा चरण माना जाता है। इसको 'खोजपूर्ण उम्र' और 'खिलौना उम्र' भी कहा जाता है। जब बच्चे बढ़ते है तो उनके अतीत अनुभवो से उनके जीवन का आकार होता है और दुनिया को समझने की क्षमता मिलती है। तीन वर्ष से ही बच्चों की भाषा का विकास होता है। बच्चे ९००-१००० अलग शब्द और हर दिन १२००० शब्दो का उपयोग करता है। छह वर्ष होने तक बच्चा २,६०० शब्द का उपयोग करता है और २०,००० शब्दो को समझते है। बच्चो की समझने की क्षमता इस वर्ष तक बढ़ जाती है और विधालय जाने से उसको बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
बच्चे इस उम्र मे आसानी से दोस्त बना लेते है। भाषा विकास होने से बच्चो को ज्ञान और कौशलता भी प्राप्त होता है और अपने लोगो से र्वातालाप करने और समझने मे आसानी होती है। ब्च्चे लोगो को पहचानने लगते है। बच्चो के अच्छे या बुरे व्यवहार मे परवरिश शैली और उसके आसपास के वातावरण का बडा योगदान होता है।
'''मध्यम बचपन या बालपन :''' ९ वर्ष - ११ वर्ष के बच्चे मध्यम बालपन के कहलाते है। बच्चो का मोटर विकास जारी रहता है। इस चरण मे बच्चो को स्थानिक अवधारणाओ, करणीय संबंध, वर्गीकरण, अधिष्ठापन और वियोजक कारणो और संरक्षण मे समझने की क्षमता बढ़ जाती है। बच्चो मे लिखने की क्षमता पठन करने से ही बढ़ती है। इस चरण मे बच्चो के लिए अपना आत्म स्म्मान बहुत महत्वपूर्ण लगता है। पैतृक प्रभाव और साथियों का दबाव बच्चो के मानसिक विकास पर असर डालता है। मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण चरण बचपन है।