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'''अंतरजाल मंच''' [[संगणक द्वारा संचार]] का एक [[अतुल्यकालिक कॉन्फ्रेन्सिंग]] साधन है।
 
== सन्दर्भ == सिगरेट भी है खतरनाक, हो सकता है कैंसर
 
 
 
धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए ई सिगरेट का सहारा लेने और उसे कम नुकसानदेह समझने वालों के लिए बुरी खबर है। जापान के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दावा किया है कि ई सिगरेट में सामान्य सिगरेट की तुलना में 10 गुना अधिक खतरनाक रसायन होते हैं जिनसे कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कई प्रकार के ई सिगरेट के अंदर इस्तेमाल किए जाने वाले तरल पदार्थ के वाष्प में फार्मल्डिहाइड और एसीटलडिहाइड जैसे रसायन होते हैं जो बेहद नुकसानदेह हैं।
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नियुक्त इन अनुसंधानर्कताओं के समूह ने बताया कि ई सिगरेट को आम तौर पर सामान्य सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक माना जाता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। कई मायनों में ये सामान्य सिगरेट से ज्यादा खतरनाक हैं।
राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य संस्थान के डॉ. नाओकी कुनुगिता ने बताया कि ई सिगरेट में फार्मल्डिहाइट और एसीटलडिहाइड जैसे कार्सिनोजेंस सामान्य सिगरेट की तुलना में कहीं ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं।
ई सिगरेट के एक ब्रांड में तो यह सामान्य सिगरेट की तुलना में दस गुना से भी अधिक पाए गए। उन्होंने बताया कि ई सिगरेट के तरल पदार्थ को वाष्प में बदलने वाले तार के आवश्यकता से अधिक गर्म हो जाने पर ये रसायन और अधिक मात्रा में निकलने लगते हैं।
 
 
योग करें और धूम्रपान की लत से छुटकारा पाएं
नई दिल्ली| धूम्रपान के नुकसान से तो हर कोई वाकिफ है, लेकिन इस लत को छोड़ पाने में सभी बेहद लाचार साबित होते हैं। लेकिन ताजा अध्ययन में पता चला है कि योग के जरिए धूम्रपान की लत से छुटकारा पाने में आसानी होती है। प्राण योग के विशेषज्ञ दीपक झा ने बताया कि योग, धूम्रपान छोड़ने का एक समग्र समाधान है। साथ ही दीपक यह भी बताते हैं कि योग केवल धूम्रपान की आदतों से ही लोगों को दूर नहीं रखता बल्कि शरीर पर हुए दुष्प्रभाव को भी दूर कर देता है।
धूम्रपान छोड़ने के लिए यूं तो बाजार में तमाम तरह के रासायनिक विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन इनके सहारे धूम्रपान छोड़ना उतना आसान नहीं होता। सिगरेट के धुएं से निकलने वाला विषाक्त पदार्थ शरीर में प्रवेश कर खून का गाढ़ापन बढ़ा देता है और धीरे-धीरे एक थक्के के रूप में जम जाता है। यह रक्तचाप और हृदय की गति को भी प्रभावित करता है। साथ ही यह धमनियों को संकरा कर अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त परिसंचरण की मात्रा को कम कर देता है।
धूम्रपान के दुष्प्रभावों से बचने के लिए योग एक अच्छा तरीका है। योगासन और श्वसन से संबंधित व्यायाम धूम्रपान के प्रभाव को खत्म करके फेफड़ों की दशा में सुधार लाते हैं। ध्यान और शुद्धि विषाक्त पदार्थों को शरीर से दूर कर कोशिकाओं को उत्साहित करने में मदद करता है। झा ने कहा कि योग की सहज श्वास तकनीक को प्राणायाम कहते हैं। प्राणायाम से शरीर पूरी तरह से चुस्त रहता है, साथ ही तनाव और चिंता दूर होती है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
इन योगासनों से मिलति है धूम्रपान से निजात:
योगासन: सर्वागासन (शोल्डर स्टैंड), सेतु बंधासन (ब्रिज मुद्रा), भुजंगासन (कोबरा पोज), शिशुआसन (बाल पोज)।
प्राणायाम: सहज प्राणायाम, भसीदा प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम (नोस्ट्रिल ब्रीदिंग तकनीक)।
उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनियाभर में हर साल लगभग 54 लाख लोगों की तंबाकू के इस्तेमाल की वजह से मौत हो जाती है। औसतन हर छह सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। जिसमें लगभग हर दसवां व्यक्ति वयस्क होता है।
 
 
मां-बाप के साथ न रहने वाले बच्चे करते हैं नशा!
 
 
एक बच्चे के अच्छा या बुरा इंसान बनने में उसके मां-बाप की भूमिका अहम होती है। मां और पिता, दोनों का साथ और प्यार बच्चे के लिए जरूरी होता है। दोनों का साथ और प्यार उन्हें कई बार न केवल बुरी संगत से बचाता है, बल्कि शराब और चरस जैसे नशीले पदार्थो से भी दूर रखता है। एक नए शोध में भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा गया है कि मां-बाप के साथ रहने वाले किशोरों की तुलना में एकल मां-बाप के संग रहने वाले किशोरों में शराब और चरस जैसे नशीले पदार्थों के इस्तेमाल की आशंका ज्यादा होती है।
निष्कर्ष दिखाता है कि सिर्फ मां के साथ रहने वाले बच्चों में शराब पीने की आशंका 54 प्रतिशत अधिक होती है, अगर वे सिर्फ पिता के साथ रहते हैं, तो उनके धूम्रपान करने का खतरा 58 प्रतिशत अधिक होता है। अमेरिकी की टेक्सास यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर ईयूजबियस स्मॉल ने कहा कि हमारे शोध को ऐसी पारिवारिक संरचना और उसकी नीतियों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिससे बच्चों के लिए सुरक्षात्मक माहौल बनाने और उनमें अच्छाई के गुण बनाने में मदद मिल सके।
शोधकर्ताओं ने पारिवारिक संरचना व अभिभावकों की शिक्षा से किशोरावस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिए करीब 14,268 किशोरों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। स्मॉल ने निष्कर्ष निकाला कि किशोरों की सेहत पर लिंग, आयु और वे कहां रहते हैं, इनकी बजाय पारिवारिक संरचना और अभिभावकों की शिक्षा जैसे कारकों ने ज्यादा असर डाला। यह शोध 'सोशल वर्क इन पब्लिक हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
सिगरेट भी है खतरनाक, हो सकता है कैंसर
 
 
 
धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए ई सिगरेट का सहारा लेने और उसे कम नुकसानदेह समझने वालों के लिए बुरी खबर है। जापान के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दावा किया है कि ई सिगरेट में सामान्य सिगरेट की तुलना में 10 गुना अधिक खतरनाक रसायन होते हैं जिनसे कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कई प्रकार के ई सिगरेट के अंदर इस्तेमाल किए जाने वाले तरल पदार्थ के वाष्प में फार्मल्डिहाइड और एसीटलडिहाइड जैसे रसायन होते हैं जो बेहद नुकसानदेह हैं।
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नियुक्त इन अनुसंधानर्कताओं के समूह ने बताया कि ई सिगरेट को आम तौर पर सामान्य सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक माना जाता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। कई मायनों में ये सामान्य सिगरेट से ज्यादा खतरनाक हैं।
राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य संस्थान के डॉ. नाओकी कुनुगिता ने बताया कि ई सिगरेट में फार्मल्डिहाइट और एसीटलडिहाइड जैसे कार्सिनोजेंस सामान्य सिगरेट की तुलना में कहीं ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं।
ई सिगरेट के एक ब्रांड में तो यह सामान्य सिगरेट की तुलना में दस गुना से भी अधिक पाए गए। उन्होंने बताया कि ई सिगरेट के तरल पदार्थ को वाष्प में बदलने वाले तार के आवश्यकता से अधिक गर्म हो जाने पर ये रसायन और अधिक मात्रा में निकलने लगते हैं।
 
 
योग करें और धूम्रपान की लत से छुटकारा पाएं
नई दिल्ली| धूम्रपान के नुकसान से तो हर कोई वाकिफ है, लेकिन इस लत को छोड़ पाने में सभी बेहद लाचार साबित होते हैं। लेकिन ताजा अध्ययन में पता चला है कि योग के जरिए धूम्रपान की लत से छुटकारा पाने में आसानी होती है। प्राण योग के विशेषज्ञ दीपक झा ने बताया कि योग, धूम्रपान छोड़ने का एक समग्र समाधान है। साथ ही दीपक यह भी बताते हैं कि योग केवल धूम्रपान की आदतों से ही लोगों को दूर नहीं रखता बल्कि शरीर पर हुए दुष्प्रभाव को भी दूर कर देता है।
धूम्रपान छोड़ने के लिए यूं तो बाजार में तमाम तरह के रासायनिक विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन इनके सहारे धूम्रपान छोड़ना उतना आसान नहीं होता। सिगरेट के धुएं से निकलने वाला विषाक्त पदार्थ शरीर में प्रवेश कर खून का गाढ़ापन बढ़ा देता है और धीरे-धीरे एक थक्के के रूप में जम जाता है। यह रक्तचाप और हृदय की गति को भी प्रभावित करता है। साथ ही यह धमनियों को संकरा कर अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त परिसंचरण की मात्रा को कम कर देता है।
धूम्रपान के दुष्प्रभावों से बचने के लिए योग एक अच्छा तरीका है। योगासन और श्वसन से संबंधित व्यायाम धूम्रपान के प्रभाव को खत्म करके फेफड़ों की दशा में सुधार लाते हैं। ध्यान और शुद्धि विषाक्त पदार्थों को शरीर से दूर कर कोशिकाओं को उत्साहित करने में मदद करता है। झा ने कहा कि योग की सहज श्वास तकनीक को प्राणायाम कहते हैं। प्राणायाम से शरीर पूरी तरह से चुस्त रहता है, साथ ही तनाव और चिंता दूर होती है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
इन योगासनों से मिलति है धूम्रपान से निजात:
योगासन: सर्वागासन (शोल्डर स्टैंड), सेतु बंधासन (ब्रिज मुद्रा), भुजंगासन (कोबरा पोज), शिशुआसन (बाल पोज)।
प्राणायाम: सहज प्राणायाम, भसीदा प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम (नोस्ट्रिल ब्रीदिंग तकनीक)।
उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनियाभर में हर साल लगभग 54 लाख लोगों की तंबाकू के इस्तेमाल की वजह से मौत हो जाती है। औसतन हर छह सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। जिसमें लगभग हर दसवां व्यक्ति वयस्क होता है।
 
 
मां-बाप के साथ न रहने वाले बच्चे करते हैं नशा!
 
 
एक बच्चे के अच्छा या बुरा इंसान बनने में उसके मां-बाप की भूमिका अहम होती है। मां और पिता, दोनों का साथ और प्यार बच्चे के लिए जरूरी होता है। दोनों का साथ और प्यार उन्हें कई बार न केवल बुरी संगत से बचाता है, बल्कि शराब और चरस जैसे नशीले पदार्थो से भी दूर रखता है। एक नए शोध में भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा गया है कि मां-बाप के साथ रहने वाले किशोरों की तुलना में एकल मां-बाप के संग रहने वाले किशोरों में शराब और चरस जैसे नशीले पदार्थों के इस्तेमाल की आशंका ज्यादा होती है।
निष्कर्ष दिखाता है कि सिर्फ मां के साथ रहने वाले बच्चों में शराब पीने की आशंका 54 प्रतिशत अधिक होती है, अगर वे सिर्फ पिता के साथ रहते हैं, तो उनके धूम्रपान करने का खतरा 58 प्रतिशत अधिक होता है। अमेरिकी की टेक्सास यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर ईयूजबियस स्मॉल ने कहा कि हमारे शोध को ऐसी पारिवारिक संरचना और उसकी नीतियों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिससे बच्चों के लिए सुरक्षात्मक माहौल बनाने और उनमें अच्छाई के गुण बनाने में मदद मिल सके।
शोधकर्ताओं ने पारिवारिक संरचना व अभिभावकों की शिक्षा से किशोरावस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिए करीब 14,268 किशोरों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। स्मॉल ने निष्कर्ष निकाला कि किशोरों की सेहत पर लिंग, आयु और वे कहां रहते हैं, इनकी बजाय पारिवारिक संरचना और अभिभावकों की शिक्षा जैसे कारकों ने ज्यादा असर डाला। यह शोध 'सोशल वर्क इन पब्लिक हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
सिगरेट भी है खतरनाक, हो सकता है कैंसर
 
 
 
धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए ई सिगरेट का सहारा लेने और उसे कम नुकसानदेह समझने वालों के लिए बुरी खबर है। जापान के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दावा किया है कि ई सिगरेट में सामान्य सिगरेट की तुलना में 10 गुना अधिक खतरनाक रसायन होते हैं जिनसे कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कई प्रकार के ई सिगरेट के अंदर इस्तेमाल किए जाने वाले तरल पदार्थ के वाष्प में फार्मल्डिहाइड और एसीटलडिहाइड जैसे रसायन होते हैं जो बेहद नुकसानदेह हैं।
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नियुक्त इन अनुसंधानर्कताओं के समूह ने बताया कि ई सिगरेट को आम तौर पर सामान्य सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक माना जाता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। कई मायनों में ये सामान्य सिगरेट से ज्यादा खतरनाक हैं।
राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य संस्थान के डॉ. नाओकी कुनुगिता ने बताया कि ई सिगरेट में फार्मल्डिहाइट और एसीटलडिहाइड जैसे कार्सिनोजेंस सामान्य सिगरेट की तुलना में कहीं ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं।
ई सिगरेट के एक ब्रांड में तो यह सामान्य सिगरेट की तुलना में दस गुना से भी अधिक पाए गए। उन्होंने बताया कि ई सिगरेट के तरल पदार्थ को वाष्प में बदलने वाले तार के आवश्यकता से अधिक गर्म हो जाने पर ये रसायन और अधिक मात्रा में निकलने लगते हैं।
 
 
योग करें और धूम्रपान की लत से छुटकारा पाएं
नई दिल्ली| धूम्रपान के नुकसान से तो हर कोई वाकिफ है, लेकिन इस लत को छोड़ पाने में सभी बेहद लाचार साबित होते हैं। लेकिन ताजा अध्ययन में पता चला है कि योग के जरिए धूम्रपान की लत से छुटकारा पाने में आसानी होती है। प्राण योग के विशेषज्ञ दीपक झा ने बताया कि योग, धूम्रपान छोड़ने का एक समग्र समाधान है। साथ ही दीपक यह भी बताते हैं कि योग केवल धूम्रपान की आदतों से ही लोगों को दूर नहीं रखता बल्कि शरीर पर हुए दुष्प्रभाव को भी दूर कर देता है।
धूम्रपान छोड़ने के लिए यूं तो बाजार में तमाम तरह के रासायनिक विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन इनके सहारे धूम्रपान छोड़ना उतना आसान नहीं होता। सिगरेट के धुएं से निकलने वाला विषाक्त पदार्थ शरीर में प्रवेश कर खून का गाढ़ापन बढ़ा देता है और धीरे-धीरे एक थक्के के रूप में जम जाता है। यह रक्तचाप और हृदय की गति को भी प्रभावित करता है। साथ ही यह धमनियों को संकरा कर अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त परिसंचरण की मात्रा को कम कर देता है।
धूम्रपान के दुष्प्रभावों से बचने के लिए योग एक अच्छा तरीका है। योगासन और श्वसन से संबंधित व्यायाम धूम्रपान के प्रभाव को खत्म करके फेफड़ों की दशा में सुधार लाते हैं। ध्यान और शुद्धि विषाक्त पदार्थों को शरीर से दूर कर कोशिकाओं को उत्साहित करने में मदद करता है। झा ने कहा कि योग की सहज श्वास तकनीक को प्राणायाम कहते हैं। प्राणायाम से शरीर पूरी तरह से चुस्त रहता है, साथ ही तनाव और चिंता दूर होती है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
इन योगासनों से मिलति है धूम्रपान से निजात:
योगासन: सर्वागासन (शोल्डर स्टैंड), सेतु बंधासन (ब्रिज मुद्रा), भुजंगासन (कोबरा पोज), शिशुआसन (बाल पोज)।
प्राणायाम: सहज प्राणायाम, भसीदा प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम (नोस्ट्रिल ब्रीदिंग तकनीक)।
उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनियाभर में हर साल लगभग 54 लाख लोगों की तंबाकू के इस्तेमाल की वजह से मौत हो जाती है। औसतन हर छह सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। जिसमें लगभग हर दसवां व्यक्ति वयस्क होता है।
 
 
मां-बाप के साथ न रहने वाले बच्चे करते हैं नशा!
 
 
एक बच्चे के अच्छा या बुरा इंसान बनने में उसके मां-बाप की भूमिका अहम होती है। मां और पिता, दोनों का साथ और प्यार बच्चे के लिए जरूरी होता है। दोनों का साथ और प्यार उन्हें कई बार न केवल बुरी संगत से बचाता है, बल्कि शराब और चरस जैसे नशीले पदार्थो से भी दूर रखता है। एक नए शोध में भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा गया है कि मां-बाप के साथ रहने वाले किशोरों की तुलना में एकल मां-बाप के संग रहने वाले किशोरों में शराब और चरस जैसे नशीले पदार्थों के इस्तेमाल की आशंका ज्यादा होती है।
निष्कर्ष दिखाता है कि सिर्फ मां के साथ रहने वाले बच्चों में शराब पीने की आशंका 54 प्रतिशत अधिक होती है, अगर वे सिर्फ पिता के साथ रहते हैं, तो उनके धूम्रपान करने का खतरा 58 प्रतिशत अधिक होता है। अमेरिकी की टेक्सास यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर ईयूजबियस स्मॉल ने कहा कि हमारे शोध को ऐसी पारिवारिक संरचना और उसकी नीतियों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिससे बच्चों के लिए सुरक्षात्मक माहौल बनाने और उनमें अच्छाई के गुण बनाने में मदद मिल सके।
शोधकर्ताओं ने पारिवारिक संरचना व अभिभावकों की शिक्षा से किशोरावस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिए करीब 14,268 किशोरों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। स्मॉल ने निष्कर्ष निकाला कि किशोरों की सेहत पर लिंग, आयु और वे कहां रहते हैं, इनकी बजाय पारिवारिक संरचना और अभिभावकों की शिक्षा जैसे कारकों ने ज्यादा असर डाला। यह शोध 'सोशल वर्क इन पब्लिक हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
 
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