"सम्पत्ति": अवतरणों में अंतर

नया पृष्ठ: पूर्वी तथा पश्चिमी समाजों द्वारा '''संपत्ति''' का प्रयोग सामाजिक सं...
 
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रोमन में "रेस" का अर्थ अत्यंत जटिल है। यह अंग्रेजी की तरह अधिकार की ठोस वस्तु है। किंतु "रेस" का ठीक ठीक अर्थ "वस्तु" के बिलकुल समान नहीं है, उससे कुछ अधिक है। यद्यपि "रेस" का मूल अर्थ भौतिक वस्तु है, परंतु धीरे धीरे इसका प्रयोग ऐसी परिसंपत्ति (assets) को व्यक्त करने के लिए भी होने लगा जो भौतिक तथा स्थूल ही न होकर अमूर्त भी हो सकती थी जैसे बिजली। "रेस" का प्रयोग विशिष्टाधिकार के लिए भी होता है और ऐसे अधिकारों के लिए भी जो, उदाहरणार्थ, प्रसिद्धि या ख्याति से उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार इन दो अर्थो के लिए रेस का लगातार प्रयोग होने के कारण "रेस" के दो अर्थ हो गए : "रेस पार्थिव" अर्थात् भौतिक वस्तुएँ जो मनुष्य के अधिकारों के अंतर्गत आ सकती है तथा "रेस अपार्थिव" अर्थात् वे अधिकार स्वयं। इस प्रकार अंतिम विश्लेषण के फलस्वरूप "वस्तु" का आशय "रेस पार्थिव" से ही लिया जाएगा।
 
रोमन भाषा में "रेस" संपत्ति की वस्तु तथा अधिकार दोनों के लिए प्रयुक्त होता है, परंतु "बोना" (Bona) शब्द, जो सामान या धन के लिए प्रयुक्त होता है, संस्कृत के "धन" शब्द के समकक्ष है। अरबी जूरियों (Arabian Jurists) के अनुसार "माल" शब्द संपत्ति तथा किसी भी ऐसी वस्तु के लिए प्रयुक्त हो सकता है जिसका अरबी कानून (¤É¶ÉäÊ®úªÉÉiÉबशेरियात) में मूल्य या अर्थ (´É豪ÉÚवैल्यू) हो अथवा जो किसी व्यक्ति के अधिकार में रह सकती हो। "धन" शब्द भी संपत्ति के लिए बहुधा प्रयुक्त होता है।
 
संपत्ति के अर्थ में प्रयुक्त होनेवाली वस्तु में स्थायित्व का तथा भौतिक एकत्व का गुण होना आवश्यक है। इकाइयों के एक संग्रह को जिसकी इकाइयाँ स्वयं पृथक् वस्तु हों और ऐसी एकल इकाइयों के सम्मिलन से बनी वस्तु को भी वस्तु कह सकते हैं; जैसे एक ईंट अथवा ईंटों से निर्मित एक मकान या एक भेंड़ अथवा कई भेड़ों से बना एक झुडं। कानून में वस्तु का प्रयोग कुछ अधिकारों एवं कर्तव्यों को व्यक्त करने के लिए भी किया जाता है। भौतिक गुणों के आधार पर "वस्तु" दो प्रकार की हो सकती है - चल अथवा अचल। लेकिन अग्रेजी कानून के तकनीकी नियमों के अनुसार वस्तु, वास्तविक तथा व्यक्तिगत होती है। रोमन कानून के अनुसार "रेस" को इसी प्रकार "मैनसिपेबुल" (mancipable) तथा अनमैनसिपूबुल में विभक्त किया गया है। इस प्रकार संपत्ति एक और "रेस" या "वस्तु" और दूसरी ओर रेस अथवा वस्तु से संबंधित मनुष्य के अधिकारों से संबद्ध है। इसलिए संपत्ति के लिए एक ऐसा व्यक्ति आवश्यक है जो किसी वस्तु पर अपना अधिकार रख सके।
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रेस या वस्तु के पार्थिव और अपार्थिव वर्गीकरण तथा वस्तु या अधिकारों के स्वरूप के अनुसार संपत्ति का वर्गीकरण विभिन्न प्रकार से हुआ है जैसे, पार्थिव या अपार्थिव; चल या अचल तथा वास्तविक या व्यक्तिगत। संपत्ति के साथ अन्य विशिष्ट शब्दों जैसे व्यक्तिगत या सार्वजनिक, पैतृक, दाययोग्य, संयुक्त पारिवारिक, समाधिकारिक आदि के संयुक्त कर देने से संपत्ति के स्वरूप के साथ संबंध व्यक्त होता है।
 
==संपत्ति की वैधानिक व्याख्या==
संपत्ति की वैधानिक व्याख्या के अनुसार इसके कई अर्थ है। संपत्ति के अंतर्गत किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए शारीरिक तथा मानसिक परिश्रम के फल भी आते हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी किसी वस्तु के बदले में जो कुछ भी पाता है, जो कुछ भी उसे दिया जाता है और जिसे कानून द्वारा उस व्यक्ति का माना जाता है अथवा उसे प्रयोग करने, भोग करने तथा व्यवस्था करने का अधिकार प्रदान किया जाता है, वह सब उस व्यक्ति की व्यक्तिगत संपत्ति कहलाती है। परंतु कानून द्वारा मान्यता न प्राप्त होने पर उसे संपत्ति नहीं कहा जा सकता और तब विधिक परिणाम की दृष्टि से व्यक्ति और वस्तु के बीच कोई संबंध नहीं रह जाता है।