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[[चित्र:Aphelion (PSF).svg|thumb|1-ग्रह अपसौर पर, 2-ग्रह उपसौर पर, 3-सूर्य ]]
'''उपसौर और अपसौर''' (Perihelion and Aphelion), किसी [[ग्रह]], [[क्षुद्रग्रह]] या [[धूमकेतु]]
सौरमंडल में ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है, कुछ ग्रहों की कक्षाएं करीब-करीब पूर्ण वृत्ताकार होती है, लेकिन कुछ की नहीं | कुछ कक्षाओं के आकार अंडाकार जैसे ज्यादा है या इसे हम एक खींचा या तना हुआ वृत्त भी कह सकते है | वैज्ञानिक इस अंडाकार आकार को "दीर्घवृत्त" कहते है | यदि एक ग्रह की कक्षा [[वृत्त]] है, तो सूर्य उस वृत्त के केंद्र पर है | यदि, इसके बजाय, कक्षा [[दीर्घवृत्त]] है, तो सूर्य उस बिंदु पर है जिसे दीर्घवृत्त की "नाभि" कहा जाता है, यह इसके केंद्र से थोड़ा अलग है | एक दीर्घवृत्त में दो नाभीयां होती है | चूँकि सूर्य दीर्घवृत्त कक्षा के केंद्र पर नहीं है, ग्रह जब सूर्य का चक्कर लगाते है, कभी सूर्य की तरफ करीब चले आते है तो कभी उससे परे दूर चले जाते है | वह स्थान जहां से ग्रह सूर्य से सबसे नजदीक होता है उपसौर कहलाता है | जब ग्रह सूर्य से परे सबसे दूर होता है, यह अपसौर पर होता है | जब [[पृथ्वी]] उपसौर पर होती है, यह सूर्य से लगभग १४.७ करोड़ कि.मी. (९.१ करोड़ मिल) दूर होती है | जब अपसौर पर होती है, सूर्य से १५.२ करोड़ कि.मी. (९.५ करोड़ मिल) दूर होती है | पृथ्वी, अपसौर पर उपसौर पर की अपेक्षा सूर्य से ५० लाख कि.मी. (३० लाख मील) ज्यादा दूर होती है |<ref>[http://www.windows2universe.org/physical_science/physics/mechanics/orbit/perihelion_aphelion.html Perihelion and Aphelion]</ref>
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