"नन्दी": अवतरणों में अंतर
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शिव का वाहन नंदी नामक बैल है। बैल की विशेषता शक्ति-संपन्नता के साथ-साथ कर्मठता मानी गयी है। उन दोनों तत्त्वों का प्रतीक नंदी है। ऐसी अनेक कथाएं हैं जो इन गुणों पर प्रकाश डालती हैं। एक बार नंदी पहरेदारी का काम कर रहा था। शिव पार्वती के साथ विहार कर रहे थे। भृगु उनके दर्शन करने आये- किंतु नंदी ने उन्हें गुफ़ा के अंदर नहीं जाने दिया। भृगु ने शाप दिये, पर नंदी निर्विकार रूप से मार्ग रोके रहा। ऐसी ही शिव-पार्वती की आज्ञा थी। एक बार रावण ने अपने हाथ पर कैलाश पर्वत उठा लिया था। नंदी ने क्रुद्ध होकर अपने पांव से ऐसा दबाव डाला कि रावण का हाथ ही दब गया। जब तक उसने शिव की आराधना नहीं की तथा नंदी से क्षमा नहीं मांगी, नंदी ने उसे छोड़ा ही नहीं। शिव कल्याणकारी भावों के प्रतीक हैं तो नंदी कर्मठता और शक्ति का। इन दोनों के माध्यम से ही कल्याण का फैलाव संभव है।
[[श्रेणी:शिव]]
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