"अजित जैन": अवतरणों में अंतर

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बफेट के न रहने पर बर्कशायर में उनके कारोबार में जैन के संभावित प्रतिद्वंद्वियों में प्रमुख [[मिडअमेरिकन एनर्जी होल्डिंग्स कंपनी]] के अध्यक्ष डेविड सुकोल; और बर्कशायर हैथवे के [[GEICO|GEICO Corp]]. के मुख्य कार्यकारी अधिकारी [[टोनी नाइसली]] हैं।<ref name="urban">{{cite news | last = Urban | first = Rob | url = http://www.bloomberg.com/apps/news?pid=20670001&refer=us&sid=aHlQC4xTby.8 | title = Jain, Buffett Pupil, Boosts Berkshire Cash as Succession Looms | publisher = Bloomberg News | date = [[2002-07-11]] | accessdate = 2006-07-23 }}</ref>
 
 
 
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* 2005 में : बफेट ने उन्हें "एक असाधारण प्रबंधक" बताया.<ref> http://www.berkshirehathaway.com/letters/2005.html </ref>
* 2008 में: "1986 में अजित बर्कशायर आये. बहुत जल्द ही मुझे महसूस हुआ कि हमने एक असाधारण प्रतिभा को प्राप्त कर लिया हैं। सो मैंने स्वाभाविक रूप से नई दिल्ली में उसके माता पिता को लिखा कर पूछा कि उनके घर में उस जैसा और भी कोई हो तो उसे भेजें. हालांकि लिखने से पहले ही मुझे जवाब पता था। अजित जैसा दूसरा कोई नहीं.
 
 
 
== प्रारम्भिक जीवन ==
अजित जैन का बचपन भारत के तटवर्तीय राज्य [[उड़ीसा]] में बीता .उन्होंने 1972 में [[इंडियन इंस्टीट्युट ऑफ़ टेक्नोलॉजी खड़गपुर]] [[IIT खड़गपुर]] से इंजीनियरिंग में स्नातक उपाधि प्राप्त की. उनके सहपाठी रोनोजय दत्ता के अनुसार, अपनी पढ़ाई को उन्होंने बहुत गंभीरता से नहीं लिया था। पढ़ाई के बजाय वे अक्सर रात-रात भर घंटों अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और [[वियतनाम युद्ध]] पर बहस किया करते थे। एक अन्य सहपाठी विजय त्रेहन ने जैन और दत्ता को "मैकेनिकल इंजीनियरिंग की कक्षा का जोकर" बताया. लेकिन उनके बाद के करियर को देखते हुए त्रेहन ने कहा, "इससे सबक मिलता है कि 'जीवन को बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना' से ही निश्चित रूप से उनके आगे बढने का रास्ता तैयार हुआ।"<ref name="urban"/>
 
 
 
== कैरियर ==
[[जैन]] ने भारत में 1973 से 1976 तक [[IBM]] के लिए काम किया, उसके बाद उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के [[हार्वर्ड बिजनेस स्कूल]] से 1978 में [[MBA]] किया। फिर वे [[मैकिन्से एंड कंपनी]] से जुड़ गए, लेकिन 1980 के दशक के प्रारंभ में भारत लौट आए. लगभग एक महीने के प्रेम संबन्ध के बाद, उन्होंने अपने माता-पिता द्वारा तय की गयी लड़की से शादी की. उसके बाद वे फिर मैकिन्से के लिए काम करने संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। राबर्ट पी. माइल्स की पुस्तक ''द वॉरेन बफेट CEO : सीक्रेट फ्राम बर्कशायर हैथवे मैनेजर्स'' में लिखा है कि [[जैन]] अमेरिका नहीं लौटते, लेकिन उनकी पत्नी टिंकू [[जैन]] को वहां जाना चाहती थी। 1986 में उन्होंने मैकिन्से छोड़ दिया और बफेट के लिए बीमा का काम करने लगे. उनके अनुसार उस समय वे बीमा के कारोबार के बारे में कुछ खास नहीं जानते थे।<ref name="urban"/>