"कणाद": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: अंगराग परिवर्तन |
No edit summary |
||
पंक्ति 1:
[[वैशेषिक]] एक [[दर्शन]] है जिसके प्रवर्तक ऋषि '''कणाद''' हैं। महर्षि कणाद ने '''द्वयाणुक''' (दो अणु वाले) तथा '''त्रयाणुक''' की चर्चा की है। उनका समय छठी शदी ईसापूर्व है। किन्तु कुछ लोग उन्हे दूसरी शताब्दी ईसापूर्व का मानते हैं। ऐसा विश्वास है कि वे [[गुजरात]] के [[प्रभास क्षेत्र]] ([[द्वारका]] के निकट) में जन्मे थे। कणाद [[परमाणु]] की अवधारणा के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी [[जॉन डाल्टन]] के भी हजारों साल पहले महर्षि कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि [[द्रव्य]] के परमाणु होते हैं। ht
उनके अनासक्त जीवन के बारे में यह रोचक मान्यता भी है कि किसी काम से बाहर जाते तो घर लौटते वक्त रास्तों में पड़ी चीजों या अन्न के कणों को बटोरकर अपना जीवनयापन करते थे। इसीलिए उनका नाम कणाद भी प्रसिद्ध हुआ।<ref name="bhaskar">{{cite web
|