"हावड़ा": अवतरणों में अंतर

इतिहास
No edit summary
पंक्ति 75:
'''हावड़ा'''(अंग्रेज़ी : Howrah, बंगाली : হাওড়া) , [[भारत]] के [[पश्चिम बंगाल]] [[भारत के राज्य|राजय]] का एक औद्योगिक शहर, पष्चिम बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर एवं [[हावड़ा जिला|हावड़ा जिला]] एवं हावड़ सदर का मुख्यालय है। [[हुगली नदी]] के दाहिने तट पर स्थित, यह शहर [[कोलकाता|कलकत्ता (अंग्रेज़ी:Calcutta)]], के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, जो किसी ज़माने में [[भारत]] की [[अंग्रेज़ी हुक़ूमत]] की राजधानी और भारत एवं विश्व का सबसे प्रभावशाली एवं धनी नगरों में से एक हुआ करता था । [[रवीन्द्र सेतु]], [[विवेकानन्द सेतू]], [[निवेदिता सेतू]] एवं [[विद्यासागर सेतु]] इसे हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित पष्चम बंगाल की राजधानी, [[कोलकाता]] से जोड़ते हैं। आज भी हावड़, कोलकाता के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, सामानताएं होने के बावजूद हावड़ा नगर की भिन्न पहचान है।
 
समुद्रतठ से मात्र 12 मीटर ऊँचा यह शहर रेलमार्ग एवं सड़क मार्गों द्वारा सम्पूर्ण भारत से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ का सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन [[हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन]] है। हावड़ा स्टेशन [[पूर्व रेलवे]] तथा [[दक्षिण पूर्वी रेलवे]] का मुख्यालय है। हावड़ स्टेशन के अलावा हावड़ा नगर क्षेत्र मैं और 6 रेलवे स्टेशन हैं तथा एक और टर्मिनल [[शालिमार रेलवे टर्मिनल]] भी स्थित है। [[राष्ट्रीय राजमार्ग 2]] एवं [[राष्ट्रीय राजमार्ग 6]] इसे [[दिल्ली]] व [[मुम्बई]] से जोड़ते हैं। हावड़ा नगर के अंतर्गत सिबपुर, घुसुरी, [[लिलूआलिलुआ]], सलखिया तथा रामकृष्णपुर उपनगर सम्मिलित हैं।
 
==नाम करण==
पंक्ति 83:
मौजूदा हावड़ा नगर का ज्ञात इतिहास करीब ५०० साल पुराना है। परंतू हवड़ा ज़िला क्षेत्र का इतिहास प्राचीन बंगाली राज्य '''भुरशुट'''(बंगाली: ভুরশুট) से जुड़ा है, जो प्राचीन काल से 15वीं शताब्दी तक, [[हावड़ा जिला]] और [[हूगी ज़िला]] के क्षेत्र पर शासन करती थी। सन १५६९-७५ में भारत भ्रमण कर रहे ''वेनिसी''([[वेनिस]] के) भ्रमणकरता '''सेज़र फ़ेडरीची'''(अंग्रेज़ी: Caesar Federichi; ईटैलियाई: Caesare Federichi) ने अपने भारत दौरे की अपनी दैनिकी में १५७८इ में ''बुट्टोर''(''Buttor'') नामक एक जगह का वर्णन किया था। ऊनके विवरण के अनुसार वह एक ऐसा स्थान था जहां बहुत बड़े जहाज़ भी यात्रा कर सकता थे और वह सम्भवतः एक वाणिज्यिक बंदरगाह भी था। उनका यह विवरण मौजूदा हावड़ा के '''बाटोर''' इलाके का है। बाटोर का उल्लेख १४९५ में बिप्रदास पीपिलई द्वारा लिखि बंगाली कविता '''मानसमंगल''' मैं भी है।
 
सन १७१३ मैं मुग़ल शहंशाह औरंगज़ेब के पोते शहंशाह फर्रुख़शियार के राजतिलक के मौक़े पर ब्रिटिश ईस्त ईन्डिया कम्पनी ने मुग़ल दरबार में एक प्रतिनिधीमण्डल भेजा, जिसका उद्धेश्य हुगली नदी के पूर्व के ३४ और पष्चिम के पांच गांव: सलकिया(salica), हरिराह(harirah अथवा हावड़ा), कसुंडी(cassundea) बातोर(battar) औ रामकृष्णपुर(ramkrishnopoor) को मुगलों से खरी दनाखरीदना था। शहंशाह ने केवल पूर्व के ३४ गावों पर संधी की। कंपनी के पुराने दस्तावेज़ों में इन गावों का उल्लेख है। आज ये सारे नाम हावड़ा शहर के क्षेत्र और उपनगर हैं। सन १७२८ हावड़ा के ज्यादातर इलाके "बर्धमान" और "मुहम्मन्द अमीनपुर" ज़मीनदारी का हिस्सा थे। [[प्लासी का युद्ध|प्लासी के युद्ध]] में पराजय के पश्चात, [[बंगान के नवाब]] [[मीर क़ासिम]] ने ११ अकटूर १७६० में संधी द्वारा हूगली और हावड़ा के सारे इलाके ब्रिटिश कंपनी को सौंप दिया तत्पश्चात हावड़ा को बरधमान ज़िला का हिस्सा बना दिया गया। सन १७८७ में हूगली ज़िला को बरधमान से अलग किया गया और १८४३ में हावड़ा को हूगली से अलग कर [[हावड़हावड़ा जिला]] बनाया गया, जो अब भी है।
 
सन १८५४ में [[हावड़हावड़ा ज़क्शन रेलवे स्टेशन]] को स्शापित किया गया और उसी के साथ शुरू हुआ [[हावड़ा]] नगर का औद्ध्योगिक विकास, जिसने शहर काकत्ताको कलकत्ता के एक आम से उपनगर को भारतवर्ष का एक महत्वपूर्ण औद्ध्योगिक केन्द्र बना दिया। धिरे-धीरे हावड़ा के क्षेत्र में कई प्रकार के हलके, मध्य और भारी प्रौद्ध्योगिक उद्ध्योग खुल गए। यह विकास दूसरे विष्व युद्ध तक जारी रहा नतीजाहुआ, नगर का हर दिशा में त्रैलोकिक विस्तार। इस प्रकार के औद्ध्योगिक विस्फोट का एक पहलू अत्यन्त अप्रवासन और उस से पैदा हुआ नगर का अनियमित विस्तार।विस्तार भी था।
 
आज हावड़ा जाना जाता है अपने उद्ध्योग के लिये, अपने [[हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन|रेलवे टरमिनल]] के लिये और [[रविन्द्र सेतूसेतु|हावड़ा ब्रिज]] के लिये।
 
==मौसम==