"लघुगणक": अवतरणों में अंतर

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जॉन वॉलिस (John Wallis) ने 1685 ई. तथा बेर्नूली ने 1694 ई. में लघुगणक से संगत समीकरण '''ब<sup>ल</sup> = न''' का अनुमान किया। इस विचार पर आधारित लघुगणक का उल्लेख 1742 ई. से मिलता है। इसका वर्णन ''गार्डिनर्स टेबुल्स ऑव लॉगैरिथम्स (Gardiners Tables of Logarithms)'' की भूमिका में मिलता है। इसका श्रेय विलियम जोम्स (William Jones) को दिया जाता है।
 
प्राचीन '''[[भारत]]''' में मूलभूत लघुगणक का उपयोग '[[षट्खण्डागम]]' (150 ई) में देखने को मिलता है। षट्खण्डागम की [[धवला टीका]] में अर्धच्छेद, त्रयच्छेद, चतुर्छेद आदि शब्दों का प्रयोग किया गया है जो बिलकुल लघुगणक की क्रिया जैसा ही है। उदाहरण के लिये ३२ का अर्धच्छेद ५ है जो बताता है कि ३२ को बार-बार आधा करें तो ५-बार में १ आ जाता है। इसी तरह ८१ का त्रयच्छेद ४ है क्योंकि ८१ को बार-बार तिहाई करें तो ४-बार में १ आ जाता है। ध्यान देने योग्य है कि ये क्रियायें क्रमशः log<sub>2</sub>, log<sub>3</sub> आदि जैसी ही हैं।
 
== साधारण लघुगणक (Common logarithm) ==