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==निर्वाण लड्डू==
[[लड्डू गोल]] होता है, मीठागोल होता है, सबको प्रिय होता है। गोल होने काजिसका अर्थ होता है जिसका न आरंभ है न अंत है। अखंड लड्डू की तरह हमारी आत्मा होती है जिसका न आरंभ होता है और न ही अंत। लड्डू बनाते समय बूँदी को कड़ाही में तपना पड़ता है और तपने के बाद उन्हें चाशनी में डाला जाता है। उसी प्रकार अखंड आत्मा को भी तपश्चरण की आग में तपना पड़ता है तभी मोक्षरूपी चाशनी की मधुरता मिलती है। उसी दिन यह आत्मा जगत को प्रिय लगने लगती है।
 
==मोक्ष लक्ष्मी==