"चारू मुजुमदार": अवतरणों में अंतर

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1937-38 में कॉलेज की पढ़ाई को छोड़कर चारू [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] से जुड़ गए और [[बीड़ी]] कर्मचारियों को संगठित करने के प्रयास में जुट गए। इसके पश्चात वह [[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी]] में शामिल हो गए ताकि इसकी किसान शाखा के लिए काम कर सकें। जल्द ही उनके नाम एक गिरफ़्तारी का वॉरंट जारी हुआ जिसके कारण उन्हें बाएँ कार्यकर्ता के रूप में पहली बार भूमिगत होना पड़ा। हालांकि सी पी आई को प्रथम विश्व युद्ध के समय प्रतिबंधित किया गया था, वह सी पी आई की गतिविधियों को किसानों के बीच जारी रखे और [[जलपुरीगंज]] जिला कमिटि के 1942 में सदस्य बन गए थे। इस प्रगति से प्रेरित होकर चारू ने ''फ़सल को क़बज़े लेने का अभियान'' [[जलपुरीगंज]] में [[भारत में अकाल|1943 के बड़े अकाल]] के दौरान सफलतापूर्वक चलाया। 1946 में वह [[तेभागा आन्दोलन]] से जुड़े और उत्तर बंगाल के कामगारों के लिए हथियारबंद आन्दोलन शुरू किया। इसके पश्चात वह कुछ समय के लिए [[दार्जीलिंग जिला|दार्जीलिंग]] के चाय के बागानों के कर्मचारियों के बीच काम करते रहे।
 
सी पी आई को 1948 में प्रतिबंधित किया गया था। चारू ने अगले तीन वर्ष जेल में बिताए। जनवरी 1954 में चारू ने लीला मुजुमदार सेनगुप्ता शादी की जो [[जलपुरीगंज]] से सी पी आई की सदस्या रही थी। इस जोड़े ने [[सिलीगुड़ी]] की ओर प्रस्थान किया जो अगले कुछ सालों तक मुजुमदार की गतिविधियों का केन्द्र बना रहा। यहीं पर उसके बीमार पिता और अवैवाहित बहन गम्भीर दरिद्रता का जीवन जी रहे थे। {{cn}}
 
==सन्दर्भ==