"समाजवाद": अवतरणों में अंतर

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मार्क्स का कथन था कि परस्पर प्रतियोगिता और आर्थिक संकटों के कारण पूँजीवादी तथा मध्यवर्ग संकुचित होता जाएगा और मजदूर वर्ग निर्धन, विस्तृत, संगठित तथा क्रांतिकारी बनता जाएगा जिससे शीघ्र ही समाजवाद की स्थापना संभव हो सकेगी। स्थिति इसके विपरीत थी, जिसको बर्नस्टाइन ने स्वीकार किया और इस आधार पर उसने क्रांतिकारी कार्यक्रम के स्थान में तात्कालिक समाजसुधार और समाजवाद की सफलता के लिए वर्गसंघर्ष के स्थान में श्रेणी-सहयोग तथा संसदात्मक और संवैधानिक मार्ग पर जोर दिया। वह मार्क्स के [[ऐतिहासिक भौतिकवाद]] के स्थान पर नैतिक तथा अनार्थिक (non-economic) तत्वों के प्रभाव को भी स्वीकार करने लगा। बर्नस्टाइन के विचारों को '''पुनरावृत्तिवाद''' को नाम दिया गया। यद्यपि जर्मन मजदूर आंदोलन व्यवहार में सुधारवादी रहा तथापि कार्ल कौटस्की (Karl Kautsky 1854-1938) के नेतृत्व में उसने बर्नस्टाइन के संशोधनों का अस्वीकार करके मार्क्स के विचारों में विश्वास प्रकट किया।
 
=== समूहवाद बनामतथा अराजकतावाद ===
'''{{मुख्य|अराजकतावाद}}'''
फेबियसवादी और पुनरावृत्तिवादी विचारक समाजवाद की स्थापना के लिए राज्य को आवश्यक समझते हैं। साम्यवादी विचारक भी संक्रमण काल के लिए ऐडम की शक्ति का प्रयोग करना चाहते हैं। अत: इनको '''समूहवादी''' (Collectivist) कहा जाता है। अराजकतावादी विचारक भी पूँजीवाद विरोधी और समाजवाद के समर्थक हैं परंतु वे राज्य, राजनीति और धर्म को शोषणव्यवस्था का समर्थक मानते हैं और आरंभ से ही इनका अंत कर देना चाहते हैं। अराजकतावाद जीवन और आचरण का एक सिद्धांत है जो शासनविहीन समाज की कल्पना करता है। यह समाज के ऐक्य की स्थापना शासन और कानून द्वारा नहीं, वरन् व्यक्ति तथा स्थानीय और व्यावसायिक समूहों के स्वतंत्र समझौतों द्वारा करना चाहता है। इस विचार के अनुसार उपर्युक्त समूहों द्वारा उत्पादन, वितरण आदि की अनेक मानव आवश्यकताएँ पूरी हो सकती हैं।
 
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[[टाल्सटाय]] भी राज्य और व्यक्तिगत संपत्ति का विरोधी था, परंतु वह हिंसात्मक तथा क्रांतिकारी मार्ग का पोषक नहीं वरन् ईसाई और अंहिसात्मक तरीकों का समर्थक था। वह बुद्धिसंगत ईसाई था, अंधविश्वासी नहीं। [[महात्मा गाँधी|गांधीजी]] के विचारों पर टाल्सटाय की गहरी छाप है।
 
अराजकतावादियों का विचार है कि मनुष्य स्वभाव से अच्छा है और यदि उसके ऊपर राज्य का नियंत्रण न रहे तो वह समाज में शांतिपूर्वक रह सकता है। राज्य के रहते हुए मनुष्य का बौद्धिक, नैतिक और रागात्मक विकास संभव नहीं। इनके अनुसार राजकीय समाजवाद (समूहवाद) नौकरशाहीवाद और राजकीय पूँजीवाद है। ये [[युद्ध]] और [[सैन्यवाद]] (militarisrn) के विरोधी और विकेंद्रीकरण के पक्ष में हैं।
 
[[अराजकतावाद]] से बुद्धिजीवी और मजदूर, दोनों ही प्रभावित हुए हैं। अनेक लेखक और दार्शनिकों ने स्वाधीनता संबंधी विचारों को स्वीकार किया है। इनमें जॉन स्टुआर्ट मिल, हरबर्ट स्पेंसर, हैरोल्ड लास्की और बट्रेंड रसल के नाम मुख्य हैं। इस विचारधारा के बुद्धिजीवी समर्थक फ्रांस, स्पेन, इटली, रूस, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमरीका आदि अनेक देशों में पाए जाते थे, परंतु फ्रांस और ब्रिटेन के मजदूर आंदोलनों ने भी इन विचारों को संशोधित रूप में स्वीकार किया। इसके फ्रांसीसी स्वरूप का नाम [[सिंडिकवाद]] (Syndicalism) और ब्रिटिश का [[गिल्ड समाजवाद]] (Guild Socialism) है।
 
== सिंडिकवाद ==