"श्याम नारायण पाण्डेय": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 8:
श्याम नारायण पाण्डेय जी ने चार उत्कृष्ट [[महाकाव्य]] रचे, जिनमें [[हल्दीघाटी (काव्य)]] सर्वाधिक लोकप्रिय और [[जौहर (काव्य)]] विशेष चर्चित हुए।
 
हल्दीघाटी में वीर शिरोमणि [[महाराणा प्रताप]] के जीवन और जौहर में चित्तौड की ''[[पद्मिनी|रानी पद्मिनी]]'' के आख्यान हैं। [[हल्दीघाटी]] के नाम से विख्यात [[राजस्थान]] की इस ऐतिहासिक वीर भूमि के लोकप्रिय नाम पर लिखे गये हल्दीघाटी महाकाव्य पर आपकोउनको उस समय का सर्वश्रेष्ठ सम्मान ''देव पुरस्कार'' प्राप्त हुआ था। अपनी ओजस्वी वाणी के कारण आप [[कवि सम्मेलन]] के मंचों पर अत्यधिक लोकप्रिय हुए। आपकीउनकी आवाज मरते दम तक चौरासी वर्ष की आयु में भी वैसी ही कड़कदार और प्रभावशाली बनी रही जैसी युवावस्था में थी।
 
उनका लिखा हुआ [[महाकाव्य]] जौहर भी अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। उन्होंने यह महाकाव्य [[चित्तौड]] की महारानी [[पद्मिनी]] के वीरांगना चरित्र को चित्रित करने के उद्देश्य को लेकर लिखा था<ref name=skdhil>Das, Sisir Kumar, "A Chronology of Literary Events / 1911&ndash;1956", in Das, Sisir Kumar and various, [http://books.google.com/books?id=sqBjpV9OzcsC&printsec=frontcover ''History of Indian Literature: 1911-1956: struggle for freedom: triumph and tragedy, Volume 2''], 1995, published by [[Sahitya Akademi]], ISBN 978-81-7201-798-9, retrieved via Google Books on December 23, 2008</ref>।.