"रैबेले": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: अंगराग परिवर्तन। |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1:
[[चित्र:Francois Rabelais - Portrait.jpg|right|thumb|300px|फ्रंसेज रैबेले]]
'''फ्रांसेज रैबेले''' (Francois Rabelais ; 1494 – 9 अप्रैल 1553) [[पुनर्जागरण|पुनर्जागरण काल]] का [[फ्रांस]] का प्रमुख लेखक, डॉक्टर, भिक्षु तथा [[ग्रीक]] का विद्वान था।
== परिचय ==
रैबेले का जन्म सन् १४९४ में हुआ, यद्यपि इसपर मतैक्य नहीं है। सन् १५२० में वह साधु हो गया तथा मानवतावादियों एवं बुद्धिवादियों के वर्ग में सम्मिलित हो गय। उसने [[ग्रीक]], [[लैटिन]] तथा [[इटैलियन]] का अध्ययन किया और रीतिवादी शिक्षा की ओर गंभीरतापूर्वक उन्मुख हुआ। सन् १५३० में रैबेले ने [[चिकित्साशास्त्र]] का अध्ययन करने के लिए साधुवेष का परित्याग किया। [[लियों]] (Lyons) शहर में वह एक सुख्यात चिकित्सक हो गया। दो वर्ष बाद उसने काल्पनिक नाम से 'पैटाग्रूवेल रॉय दे दिप्सोदी' (Pantagruel, roy des Dipsodes) की कहानियाँ प्रकाशित कीं। पैंटाग्रूवेल की आलोचना करनेवाले सारबॉन (Sarbonne) आलोचकों के प्रत्युत्तर में सन् १५३४ में उसने 'गारगेंटुआ' प्रकाशित की। गारगेंटुआ पेंटाग्रूवेल का पिता था। सारबोन ने प्रकाशित होते ही गारगेंटुआ की भर्त्सना करनी प्रारंभ की। इसके अनंतर ११ वर्ष तक रैबेले मौन रहा। अपने संरक्षक [[जाँदु बोए]], की सहायता से वह [[रोम]] जा सका और वहाँ उसने शाही महत्व प्राप्त किया। सन् १५४६ में उसने [[ताई लीवे]] तथा सन् १५५२ में [[क्वार्ट लीवे]] प्रकाशित किया। सन् १५५३ में उसकी मृत्यु हुई। मृत्यु के पश्चात् उसके नाम से उसकी पाँचवीं पुस्तक प्रकाशित हुई परंतु रैबेले ही उसका लेखक था, यह कहना संदिग्ध है।
रैवेले विनोदप्रिय था। वह मनोरंजन करना चाहता था परंतु साथ ही उसने [[दर्शन]] की भी अभिव्यक्ति की। ग्रीक और लैटिन विद्वानों के प्रति उसका प्रेम और आदर अहैतुक है। उसने मूल ग्रंथों के अध्ययन पर जोर दिया, सारबॉन कृत टीकाओं पर
उसने पुराने कवियों को अधिक पसंद किया क्योंकि उनमें मध्यकालीन धर्मप्रचारकों की तार्किक रुक्षता की अपेक्षा सहज बुद्धिमत्ता के दर्शन होते हैं। [[ईसाई]] होते हुए भी रैबेले स्वर्ग की अपेक्षा पृथ्वी के प्रति अधिक ममत्व रखता था।
==इन्हें भी देखें==
*[[पुनर्जागरण]]]
[[श्रेणी:फ्रांसीसी लेखक]]
|