"राफेल": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
चंद्र शेखर (वार्ता | योगदान) राफेल द्वारा निर्मित कुछ अन्य बेहतरीन कृतियाँ जोडी। |
||
पंक्ति 18:
1508 में वह [[रोम]] गया तथा [[पोप]] जूलियस द्वितीय के द्वारा [[वैटिकन]] मे चित्रांकन के लिये नियुक्त किया गया । शीघ्र ही यह वहाँ का प्रधान चित्रकार हो गया । यहाँ राफेल ने 'स्कूल आॅफ ऐथेन्स' नामक प्रसिद्ध कृति बनायी । यह चरम पुनरुत्थान काल की उत्तम कृति मानी जाती है। इसमें [[प्लेटो]] तथा [[अरस्तू]] को बात करते हुए बाहर आते दिखाया है। प्लेटो की हस्तमुद्रा उपर की ओर संकेत कर रही है। इसके वस्त्रों का रंग लाल और उसकी सलवटें उर्ध्वलय में हैं। अरस्तु की हस्त मुद्राएं एवं नीले वस्त्र सभी क्षैतिज कर्णवत हैं जो इसी संसार को महत्वपूर्ण मानने का संकेत कर रहे है।
1514 में रैफेल [[सेंट पीटर गिरिजाघर|सेण्ट पीटर के गिरजाघर]] का प्रमुख शिल्पी बन गया । [[रोम]] के फर्नेसिया नामक स्थान पर उसने जो भित्तिचित्र अंकित किये वह उत्कृष्त श्रेणी के हैं। वह टेपेस्ट्री डिजाइन का भी आविष्कार कर रहा था जिससे अंकित पर्दे [[सिस्टीन चैपल]] मे टांगने की योजना थी। इसी समय वह [[ओल्ड टेस्टामेण्ट]] के आधार पर भी चित्र बना
राफेल की अन्तिम श्रेष्ठ कृति 'ईसा का दिव्य स्वरुप धारण करना' है जो उसने 1517 मे आरम्भ की तथा 1520 में अपनी मृत्यु तक पूर्ण नहीं कर सके। इसे रैफेल के प्रिय शिष्य [[ज्यूलियो रोमानो]] ने पूर्ण किया। 37 वर्ष की आयु में ही रैफेल की मृत्यु हो गयी। किसी भी चित्रकार ने इससे पूर्व इतनी सामाजिक पृतिष्ठा प्राप्त नहीं की थी ।
राफेल द्वारा निर्मित कुछ अन्य बेहतरीन कृतियाँ निम्नलिखित हैं।
* [[गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्र]]
* [[एलिज़ाबेथ गोन्ज़ागा का चित्र]]
==राफेल की वास्तुकला==
राफेल ने चित्रकला के अलावा [[वास्तुकला]] के क्षेत्र में भी काम किया और नाम कमाया। उसने रोमन वास्तुशैली को नया जीवन देने की कोशिश की। रोम का [[सेंट
==सन्दर्भ==
|