'''अशोक चक्र''' से निम्नलिखित दो वस्तुओं का बोध होता है:
'''अशोक चक्र''' [[भारत]] का शांति के समय का सबसे ऊँचा वीरता का [[पदक]] है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। यह [[संस्कृत]] साहित्य में वर्णित [[धर्मचक्र]] का प्रतीक है। इस चक्र में चौबीस रेखायें हैं जो दिन के चौबीस घंटो का प्रतीक है।
[[मौर्य]] साम्राज्य के विभिन्न शिलालेखों में इस चक्र का बहुतायत से प्रयोग किया गया है जिसे [[अशोक स्तंभ]] से लिया गया है।
* [[अशोक चक्र (प्रतीक)]]
==इतिहास==
[[श्रेणी:बहुविकल्पी शब्द]]
अशोक चक्र [[सम्राट अशोक]] के बाद अस्तित्व में आया था। चक्र का अर्थ [[संस्कृत]] में '''पहिया''' होता है जो स्वत: परिवर्तित होते रहने वाले समय का प्रतीक है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार [[संसार]] को चार युगों से होकर गुजरना पड़ता है जिन्हें [[सतयुग]], [[त्रेतायुग|त्रेता]], [[द्वापरयुग|द्वापर]] एवं [[कलियुग|कलि]] के नाम से जाना जाता है।