इस [[पनचक्की]] का निर्माण राजा मलिक अंबर रहमतुल्लाह अलैहि ने करवाया था। इस पनचक्की में पानी 6 किलोमीटर की दूरी से मिट्टी के पाइप से आता था। इसके चैंबर में लोहे का पंखा घूमता था जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती थी। इस ऊर्जा का उपयोग आटा के मिल को चलाने में किया जाता था। इस मिल में तीर्थयात्रियों के लिए अनाज पीसा जाता था। इसी स्थान पर कुम नदी के बाएं तट पर बाबा शाह मुसाफिर रहमतुल्लाह अलैहि का मजार है। औरंगजेब रहमतुल्लाह अलैहि बाबा शाह रहमतुल्लाह अलैहि का बहुत आदर करतेकरता थे।था। यह मकबरा लाल रंग के साधारण पत्थर का बना हुआ है। यह मकबरा संत के सादगी का प्रतीक है।
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 5 रु. तथा विदेशियों के लिए 100 रु।