"यास्क": अवतरणों में अंतर
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'''यास्क''' वैदिक संज्ञाओं के एक प्रसिद्ध [[व्युत्पत्तिशास्त्र|व्युत्पतिकार]] एवं [[वैयाकरण]] थे। इनका समय 10वीं सदी ईसा पूर्व था। इन्हें निरुक्तकार कहा गया है। [[निरुक्त]] को तीसरा [[वेदांग|वेदाङग्]] माना जाता है। यास्क ने पहले '[[निघण्टु]]' नामक वैदिक शब्दकोश को तैयार किया। निरुक्त उसी का विशेषण है। निघण्टु और निरुक्त की विषय साम्यता देख [[सायणाचार्य]] ने अपने '[[ऋग्वेद भाष्य]]' में निघण्टु को ही निरुक्त माना है। 'व्याकरण शास्त्र' में निरुक्त का बडा महत्व है।
==योगदान==
निरुक्त के पांच विषय हैं- ▼
यास्क [[निरुक्त]] के लेखक हैं , जो [[शब्द व्युत्पत्ति]] ,[[शब्द वर्गीकरण]] व [[शब्दार्थ विज्ञान]] पर एक [[तकनीकी प्रबंध]] है। यास्क को [[शाकटायन]] का उत्तराधिकारी माना जाता है, जो वेदों के व्याख्यानकर्ता थे ; उनका उल्लेख यास्क की रचनाओं में मिलता है।
:'''वर्णागमो वर्णविपर्ययश्च द्वौ चापरौ वर्णविकारनाशौ |'''
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