"यास्क": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 15:
यास्क [[निरुक्त]] के लेखक हैं , जो [[शब्द व्युत्पत्ति]] ,[[शब्द वर्गीकरण]] व [[शब्दार्थ विज्ञान]] पर एक [[तकनीकी प्रबंध]] है। यास्क को [[शाकटायन]] का उत्तराधिकारी माना जाता है, जो वेदों के व्याख्यानकर्ता थे ; उनका उल्लेख यास्क की रचनाओं में मिलता है।
[[निरुक्त]] में यह समझाने का प्रयास किया गया है कि कुछ विशेष शब्दों को उनका अर्थ कैसे मिला विशेषकर वेदों में दिये गये शब्दों को। ये धातुओं , प्रत्ययों व असामान्य शब्द संग्रहों से शब्दों को बनाने के नियम तन्त्र से युक्त है।
 
इसके तीन भाग है।
:'''वर्णागमो वर्णविपर्ययश्च द्वौ चापरौ वर्णविकारनाशौ |'''
:'''धातोस्तथार्थतिशयेन योगस्तदुच्यते पंचविधं निरुक्तम्॥'''
 
निरुक्त के तीन काण्ड हैं- नैघण्टुक, नैगम और दैवत। इसमें परिशिष्ट सहित कुल चौदह अध्याय हैं। यास्क ने शब्दों को धातुज माना है और धातुओं से व्युत्पत्ति करके उनका अर्थ निकाला है। यास्क ने वेद को ब्रह्म कहा है और उसे इतिहास ऋचाओं और गाथाओं का समुच्चय माना है।
 
==निरुक्त के विषय==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/यास्क" से प्राप्त