"गांधी-इरविन समझौता": अवतरणों में अंतर

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ब्रिटिश सरकार प्रथम गोलमेज सम्मेलन से समझ गई कि बिना कांग्रेस के सहयोग के कोई फैसला संभव नहीं है। वायसराय लार्ड इरविन एवं महात्मा गांधी के बीच 5 मार्च 1931 को गाँधी-इरविन समझौता सम्पन्न हुआ। इस समझौते में लार्ड इरविन ने स्वीकार किया कि -
 
*1.# हिंसा के आरोपियों को छोड़कर बाकी सभी राजनीतिक बन्दियों को रिहा कर दिया जावेगा।
*2.# भारतीयों को समुद्र किनारे [[नमक]] बनाने का अधिकार दिया गया।
*3.# भारतीय शराब एवं विदेशी कपड़ों की दुकानों के सामने धरना दे सकते हैं।
*4.# आन्दोलन के दौरान त्यागपत्र देने वालों को उनके पदों पर पुनः बहाल किया जावेगा। आन्दोलन के दौरान जब्त सम्पत्ति वापस की जावेगी।
 
कांग्रेस की ओर से गांधीजी ने निम्न शर्तें स्वीकार की -
*1.# [[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]] स्थगित कर दिया जावेगा।
*2.# कांग्रेस [[द्वितीय गोलमेज सम्मेलन]] में भाग लेगी।
*3.# कांग्रेस ब्रिटिश सामान का बहिष्कार नहीं करेगी।
*4.# गाँधीजी पुलिस की ज्यादतियों की जाँच की माँग छोड़ देंगे।
 
यह समझौता इसलिये महत्वपूर्ण था क्योंकि पहली बार ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के साथ समानता के स्तर पर समझौता किया।