"अफसरशाही": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 65:
*1. '''अभिभावक नौकरशाही''' – चीन की नौकरशाही (960 ई.) तथा प्रशा की असैनिक से वा (1640–1740) को इस प्रकार की नौकरशाही के उदाहरण के रूप में प्रस्तु त किया जाता है। इसके अन्तर्गत शक्तियाँ उन लोगों को सौंप दी जाती हैं जो शास्त्रों में वर्णित आचरण से परिचित रहते हैं। ये नागरिक से वक लोकमत से स्वतन्त्र रहने पर भी अपने आपको लोकहित का रक्षक मानते हैं। अधिकारपूर्ण तथा अनुत्तरदायी होते हु ए भी ये कार्यकु शल , योग्य, न्यायपूर्ण एवं परोपकारी होते है।
*2. '''जातीय नौकरशाही''' – इस प्रकार की नौकरशाही एक वर्ग पर आधारित होती है। उब वर्गों अथवा जातियों वाले लोग ही सरकारी अधिकारी बनाए जाते है। मार्क्स के अनुसार जब किसी पद विशेष के लिए ऐसी योग्यताएँ निर्धारित कर दी जाती है तो केवल विशेष वर्ग को ही प्राधान्य मिलता है और नौकरशाही का यह रूप प्रकट होता है। प्रो. विलोबी इसे [[
*3. '''संरक्षक नौकरशाही''' – नौकरशाही के इस रूप को लूट–प्रणाली भी कहा जा सकता है। अन्तर्गत सरकारी पद व्यक्तिगत कृपा या राजनीतिक पुरस्कार के रूप में प्रदान किए जाते है। सत्रहवीं शताब्दी के मध्यकाल तक यह प्रणाली [[ग्रेट
*4. '''गुणों पर आधारित नौकरशाही''' – इस प्रकार की नौकरशाही का आधार सरकारी अधिकारियों के गुण होते है। ये गुण कार्यकुशलता की दृष्टि से निर्धारित किए जाते है। अधिकारियों की नियुक्ति उनके गुणों के आधार पर होती है और उन गुणों की जाँच के लिए खुली तथा निष्पक्ष प्रतियोगिता होती है। आजकल प्राय: सभी सभ्य देशों में यह प्रणाली अपनाई जाती है। यह प्रणाली प्रजातंत्र के अनुकूल है। इसमें कर्मचारी अपने पद के लिए किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल का आभारी नहीं होता। वह अपने उद्यम और बुद्धिमता के आधार पर इसे प्राप्त करता है। वर्तमान में इसको ही नौकरशाही का सर्वश्रेष्ठ स्वरूप समझा जाता है।
==नौकरशाही की विशेषताएँ ==
|