"घनानन्द": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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इन पदों में सुजान के प्रेम रूप विरह आदि का वर्णन हुआ है
घनानंद नायिका सुजान का वर्णन अत्यंत रूचिपूर्वक करतें हैं
घनानंद प्रेम के मार्ग को अत्यंत सरल बताते हैं, इन में कहीं भी वक्रता नहीं है
कवि अपनी प्रिया को अत्यधिक चतुराई दिखाने के लिए उलाहना भी देता है
कवि अपनी प्रिया को प्रेम पत्र भी भिजवाता है पर उस निष्ठुर ने उसे पढ़कर देखा तक नहीं
'''जान अजान लौं टूक कियौ पर बाँचि न देख्यो |'''▼
रूप सौंदर्य का वर्णन करने में कवि घनानंद का कोई सानी नहीं है
:स्याम घटा लिपटी थिर बीज की सौहैं अमावस-अंक उजयारी
:धूम के पुंज में ज्वाल की माल पै द्विग-शीतलता-सुख-कारी
:कै छबि छायौ सिंगार निहारी सुजान-तिया-तन-दीपति-त्यारी
:कैसी फबी घनानन्द चोपनि सों पहिरी चुनी सावँरी सारी
घनानंद के काव्य की एक प्रमुख विशेषता है- भाव प्रवणता के अनुरूप अभिव्यक्ति की स्वाभाविक वक्रता
== कवित्त ==
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