"घनानन्द": अवतरणों में अंतर

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== छंद-विधान ==
छंद-विधान की दृष्टि से घनानंद ने [[कवित्त]] और [[सवैया|सवैये]] ही अधिक लिखे हैं। वैसे उन्होंने [[दोहा|दोहे]] और [[चौपाई|चौपाइयां]] भी लिखी हैं। [[रस]] की दृष्टि से घनानंद का काव्य मुख्यतः [[श्रृंगार रस]] प्रधान है। इनमें वियोग श्रृंगार की प्रधानता है ।है। कहीं-कहीं शांत रस का प्रयोग भी देखते बनता है। घनानंद को भाषा में चित्रात्मकता और वर्गावदाग्धता का गुण भी आ गया है।
 
== कवित्त व सवैया ==