"घनानन्द": अवतरणों में अंतर

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घनानंद नायिका सुजान का वर्णन अत्यंत रूचिपूर्वक करतें हैं । वे उस पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर देतें हैं
 
:''रावरे रूप की रीति अनूप नयो नयो लगतलागत ज्यों ज्यों निहारिये ।'' <br />
:''त्यों इन आँखिन बानि अनोखी अघानि कहू नहिं आनि तिहारिये ॥''