"होम्योपैथी": अवतरणों में अंतर
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होमियोपैथी पद्धति में [[चिकित्सक]] का मुख्य कार्य रोगी द्वारा बताए गए जीवन-इतिहास एवं रोगलक्षणों को सुनकर उसी प्रकार के लक्षणों को उत्पन्न करनेवाली औषधि का चुनाव करना है। रोग लक्षण एवं औषधि लक्षण में जितनी ही अधिक समानता होगी रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी ही अधिक रहती है। चिकित्सक का अनुभव उसका सबसे बड़ा सहायक होता है। पुराने और कठिन रोग की चिकित्सा के लिए रोगी और चिकित्सक दोनों के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है। कुछ होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति के समर्थकों का मत है कि रोग का कारण शरीर में शोराविष की वृद्धि है।
होमियोपैथी चिकित्सकों की धारणा है कि प्रत्येक जीवित प्राणी हमें इंद्रियों के क्रियाशील आदर्श (Êfunctional norm) को बनाए रखने की प्रवृत्ति होती है औरे जब यह क्रियाशील आदर्श विकृत होता है, तब प्राणी में इस आदर्श को प्राप्त करने के लिए अनेक प्रतिक्रियाएँ होती हैं। प्राणी को औषधि द्वारा केवल उसके प्रयास में सहायता मिलती है। औषधि अल्प मात्रा में देनी चाहिए, क्योंकि बीमारी में रोगी अतिसंवेगी होता है। औषधि की अल्प मात्रा प्रभावकारी होती है जिससे केवल एक ही प्रभाव प्रकट होता है और कोई दुशपरिणाम नही होते। रुग्णावस्था में ऊतकों की रूपांतरित संग्राहकता के कारण यह एकावस्था (monophasic) प्रभाव स्वास्थ्य के पुन: स्थापन में विनियमित हो जाता है। विद्वान होम्योपैथी को [[छद्म विज्ञान]] मानते हैं।
== होम्योपैथी के सिद्धान्त एवं नियम ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://ifile.it/1e7wmz4 The American Institute of Homeopathy Handbook for Parents]
* [http://books.google.co.in/books?id=MXDW1XgUwsoC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false होमियो बायो लक्षण एवं चिकित्सा सूत्र] (गूगल पुस्तक ; लेखक - भीम कुमार झा)
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* [http://vimases.org/Default_Hindi.html होम्यो कृषि पद्धति]
* [http://navbharattimes.indiatimes.com/-/articleshow/2367827.cms होमियोपैथी और कुछ मिथ] (नाभारत टाइम्स)
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