"मनोविश्लेषण": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: कोष्टक () की स्थिति सुधारी। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: अनुभाग शीर्षक एकरूपता के लिए अनुभाग का नाम बदला। |
||
पंक्ति 25:
मनोविश्लेषण की दुनिया में इस बात पर काफ़ी बहस है कि क्या मनोरोगी के मानस तक उससे बातचीत के ज़रिये पहुँचा जा सकता है? क्या मनोरोगी के भीतर मनोचिकित्सक द्वारा की गयी पूछताछ के प्रति प्रतिरोध नहीं होता? इन सवालों का जवाब तलाशने की प्रक्रिया में पैदा हुए मतभेदों के केंद्र में मातृमनोग्रंथि और शिशु-यौनिकता से जुड़े हुए मुद्दे हैं। मनोरोग के रूप में [[उन्माद]] को महत्त्व देने वाले मनोविश्लेषक मातृमनोग्रंथि की पैदाइश के क्षण को कुछ ज़्यादा ही अहमियत देते हैं, जबकि [[खण्डित मनस्कता]] (स्किज़ोफ़्रेनिया) का विश्लेषण करने वालों की तरफ़ से इसे बहुत कम प्राथमिकता मिलती है।
==
1. ज़िग्मण्ड फ़्रॉयड, जे. स्ट्रैची (सम्पा.) (1966), द स्टैंडर्ड एडिशन ऑफ़ द कम्पलीट सायकोलॅजीकल वर्क्स ऑफ़ ज़िग्मण्ड फ़्रॉयड, 19 खण्ड, होगार्द प्रेस, लंदन.
पंक्ति 35:
4. एफ़. मेल्ट्ज़र (1987), द ट्रायल्स ऑफ़ साइकोएनालिसिस, द युनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो प्रेस, लंदन और शिकागो, आएल.
==
* [[व्यवहारवाद]]
* [[मानवतावादी मनोविज्ञान]]
|