"हिन्दी वर्तनी मानकीकरण": अवतरणों में अंतर
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== "वर्तनी" शब्द का इतिहास ==
[[चित्र:Devanagari-chart.gif|thumb|200px|हिन्दी वर्णमाला, पूर्ण विवरण सहित]]
[[हिंदी शब्दसागर]] तथा [[संक्षिप्त हिंदी शब्दसागर]] के प्रारंभिक संस्करणों के साथ ही सन् [[१९५०]] में प्रकाशित [[प्रामाणिक हिंदी कोश]] (आचार्य रामचंद्र वर्मा) में इसका प्रयोग न होना यह संकेत करता है कि इस शताब्दी के मध्य तक इस शब्द की कोई आवश्यकता नहीं समझी गई।<ref>[http://vimisahitya.wordpress.com/2008/09/02/wartanee/ विमिसाहित्य पर] हिन्दी में वर्तनी</ref> छठे दशक में वर्तनी शब्द को स्थान मिला, जिसका
* शुद्ध अक्षरी कैसे सीखें -<small>प्रो. मुरलीधर श्रीवास्तव</small>,<ref>{{cite book |last= श्रीवास्तव|first= प्रो. मुरलीधर |authorlink= |coauthors= |title= शुद्ध अक्षरी कैसे सीखें |year= [[१९६०]]|publisher= भारती भवन|location=पटना}}</ref> एवं
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== मानकीकरण संस्थाएं एवं प्रयास ==
मानक हिंदी वर्तनी का कार्यक्षेत्र [[केंदीय हिंदी निदेशालय]] का है। इस दिशा में कई दिग्गजों ने अपना योगदान दिया, जिनमें से आचार्य किशोरीदास वाजपेयी तथा [[आचार्य रामचंद्र वर्मा]] के नाम उल्लेखनीय हैं। [[हिन्दी]] भाषा के संघ और कुछ राज्यों की [[राजभाषा]] स्वीकृत हो जाने के फलस्वरूप देश के भीतर और बाहर हिन्दी सीखने वालों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हो जाने से हिन्दी वर्तनी की मानक पद्धति निर्धारित करना आवश्यक और कालोचित लगा, ताकि हिन्दी शब्दों की वर्तनियों में अधिकाधिक एकरूपता लाई जा सके। तदनुसार, [[शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार]] ने [[१९६१]] में हिन्दी वर्तनी की मानक पद्धति निर्धारित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की। इस समिति ने [[अप्रैल]] [[१९६२]] में अंतिम रिपोर्ट दी। इस समिति के सदस्यों की सूची
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