"रंगमंच": अवतरणों में अंतर
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४. आगे चलकर (१६१८-१९ ई.), परमा थियेटर में, रंगमंच पीछे हो गया और पृष्ठभूमि की चित्रित दीवार आगे आ गई।
लगभग दूसरी शती ईसवी में रंगमंच कामदेव का स्थान माना जाने लगा। ईसाइयत के जन्म लेते ही पादरियों ने नाट्यकला को ही हेय मान लिया। गिरजाघर ने थिएटर का ऐसा गला घोटा कि वह आठ शताब्दियों तक न पनप सका। कुछ उत्साही पादरियों ने तो यहाँ तक फतवा दिया कि रोमन साम्राज्य के पतन का कारण थिएटर ही है। रोमन रंगमंच का अंतिम
[[इतालवी पुनर्जागरण]] के साथ वर्तमान रंगमंच का जन्म हुआ, किंतु उस समय जहाँ सारे यूरोप में अन्य सभी कलाओं का पुनरुद्वार हुआ, रंगमंच का पुन: अपना शैशव देखना पड़ा। १४ वीं शताब्दी में फिर से नाट्यकला का जन्म हुआ और लगभग १६ वीं शताब्दी में उसे प्रौढ़ता प्राप्त हुई। शाही महलों की अत्यंत सजी धजी नृत्यशालाएँ नाटकीय रंगमंच में परिणत हो गईं। बाद में उद्यानों में भी रंगशालाएँ बनीं, जिनमें अनेक दीवारों के स्थान पर वृक्षावली या झाड़बंदी ही हुआ करती थी।
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