"जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: बाहरी कड़ियाँ अनुभाग को ठीक किया। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: अनुभाग शीर्षक एकरूपता। |
||
पंक्ति 31:
जागेश्वर को पुराणों में हाटकेश्वरऔर भू-राजस्व लेखा में पट्टी पारूणके नाम से जाना जाता है। पतित पावन जटागंगाके तट पर समुद्रतल से लगभग पांच हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र जागेश्वर की नैसर्गिक सुंदरता अतुलनीय है। कुदरत ने इस स्थल पर अपने अनमोल खजाने से खूबसूरती जी भर कर लुटाई है। लोक विश्वास और लिंग पुराण के अनुसार जागेश्वर संसार के पालनहारभगवान विष्णु द्वारा स्थापित बारह ज्योतिर्लिगोंमें से एक है।
== पौराणिक
पुराणों के अनुसार शिवजी तथा सप्तऋषियोंने यहां तपस्या की थी। कहा जाता है कि प्राचीन समय में जागेश्वर मंदिर में मांगी गई मन्नतें उसी रूप में स्वीकार हो जाती थीं जिसका भारी दुरुपयोग हो रहा था। आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य जागेश्वर आए और उन्होंने महामृत्युंजयमें स्थापित शिवलिंगको कीलित करके इस दुरुपयोग को रोकने की व्यवस्था की। शंकराचार्य जी द्वारा कीलित किए जाने के बाद से अब यहां दूसरों के लिए बुरी कामना करने वालों की मनोकामनाएंपूरी नहीं होती केवल यज्ञ एवं अनुष्ठान से मंगलकारी मनोकामनाएंही पूरी हो सकती हैं।
==
<references/>
* '''जगेश्वर''', "अबोड ऑफ लॉर्ड शिवा'', by C. M. Agrawal. Published by Kaveri Books, 2000. ISBN 81-7479-033-0.
|