"भारत का भूगोल": अवतरणों में अंतर

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हिमालय (शिवालिक) की तलहटी में जहाँ नदियाँ पर्वतीय क्षेत्र को छोड़कर मैदान में प्रवेश करती हैं, एक संकीर्ण पेटी में कंकड पत्थर मिश्रित निक्षेप पाया जाता है जिसमें नदियाँ अंतर्धान हो जाती हैं। इस ढलुवाँ क्षेत्र को [[भाबर]] कहते हैं। भाबर के दक्षिण में [[तराई]] प्रदेश है, जहाँ विलुप्त नदियाँ पुन: प्रकट हो जाती हैं। यह क्षेत्र दलदलों और जंगलों से भरा है। इसका निक्षेप भाभर की तुलना में अधिक महीन कणों का है। भाभर की अपेक्षा यह अधिक समतल भी है। कभी कहीं जंगलों को साफ कर इसमें खेती की जाती है। तराई के दक्षिण में जलोढ़ मैदान पाया जाता है। मैदान में जलोढ़क दो किस्म के हैं, पुराना जलोढ़क और नवीन जलोढ़क। पुराने जलोढ़क को [[बाँगर]] कहते हैं। यह अपेक्षाकृत ऊँची भूमि में पाया जाता है, जहाँ नदियों की बाढ़ का जल नहीं पहुँच पाता। इसमें कहीं कहीं चूने के [[कंकड]] मिलते हैं। नवीन जलोढ़क को [[खादर]] कहते हैं। यह नदियों की बाढ़ के मैदान तथा डेल्टा प्रदेश में पाया जाता है, जहाँ नदियाँ प्रति वर्ष नई तलछट जमा करती हैं। मैदान के दक्षिणी भाग में कहीं कहीं दक्षिणी पठार से निकली हुई छोटी मोटी पहाड़ियाँ मिलती हैं। इसके उदाहरण बिहार में गया तथा राजगिरि की पहाड़ियाँ हैं।
 
 
=== प्रायद्वीपीय पठारी भाग ===