"दरभंगा": अवतरणों में अंतर

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* '''होली रोजरी चर्च''':
दरभंगा रेलवे स्टेशन से १ किलोमीटर उत्तर स्थित १८९१ में बना कैथोलिक चर्च इसाई पादरियों के प्रशिक्षण के लिए बना था। १८९७ में भूकंप से हुए नुकसान के बाद चर्च में २५ दिसम्बर १९९१ से पुन: प्रार्थना शुरु हुई। चर्च के बाहर ईसा मसीह का एक प्रतिमा बना है।
* '''हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी का मज़ार शरीफ''':
दरगाह शरीफ हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह
बिहार के दरभंगा शहर के रेलवे स्टेशन से आधा किलोमीटर की दूरी पर दिघी तालाब के पश्चिम किनारे पर मोहल्ला मिश्रटोला (भटियारी सराय ) में मैं स्टेशन रोड पर हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह का मज़ार है. सड़क से ऊंचाई पर स्थित आलिशान दरगाह शरीफ में हज़रात मखदूम भीका भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह का तकरीबन 400 वर्ष से पुराना मज़ार है.। दरगाह परिसर में ही हज़रत मौलाना फ़िदा अब्दुल करीम समरक़ंदी रहमतुल्लाह अलैह का भी मज़ार है… जो बाद में आये थे।
हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स ईद उल ज़ुहा (बकरीद ) की 13 से 17 तारिख तक होता है। जिसमें बिहार के अलावा अन्य राज्यों से और पडोसी देश नेपाल के भी ज़ायरीन आते हैं.... .हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह को मानने वाले हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी मज़हब के लोग है..
 
* '''मस्जिद एवं मकदूम बाबा की मजार''':
दरभंगा रेलवे स्टेशन से २ किलोमीटर की दूरी पर दरभंगा टावर के पास बनी मस्जिद शहर के मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा इबादत स्थल है। पास ही सूफी संत मकदूम बाबा की मजार है जो हिंदुओं और मुसलमानों के द्वारा समान रुप से आदरित है। स्टेशन से १ किलोमीटर दूर गंगासागर तालाब के किनारे बनी भिखा सलामी मजार के पास रमजान महीने की १२-१६ वीं के बीच मेला लगता है।