"बृहस्पति (ग्रह)": अवतरणों में अंतर

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|journal=Materials Today|volume=6|issue=9
|pages=24–33|doi=10.1016/S1369-7021(03)00922-2
}}</ref> इस अवस्था में द्रव और गैस में कोई भेद नहीं रह जाता है, तब हाइड्रोजन को परम क्रांतिक तरल अवस्था में होना कहा जाता है। उपरी परत में गैस के जैसा व्यवहार करना हाइड्रोजन के लिए अधिक सुगम होता है जो नीचे की ओर विस्तार के साथ १००० कि.मी.कि॰मी॰ गहराई तक बना रहता है<ref name="elkins-tanton" /> और अधिक गहराई में यह तरल जैसा होता है। एक बार नीचे उतर जाने पर गैस धीरे धीरे गर्म और घनी होती जाती है लेकिन भौतिक रूप से इसकी कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है।<ref>{{cite journal
|last=Guillot|first=T.
|title=A comparison of the interiors of Jupiter and Saturn
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== वायुमंडल ==
{{main|बृहस्पति का वायुमंडल}}
बृहस्पति पर सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रहीय वायुमंडल है जो उंचाई में ५००० कि.मी.कि॰मी॰ तक फैला हुआ है। बृहस्पति पर कोई धरातल नहीं है, इसलिए साधारणतया वायुमण्डल के आधार को उस बिंदु पर माना जाता है जहां वायुमण्डलीय दाब १० बार इकाई के बराबर या पृथ्वी के सतही दबाव का १० गुना हो।
 
=== बादल परत ===
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बृहस्पति सदा अमोनिया क्रिस्टल और संभवतः अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड के बादलों से ढंका रहता है | यह बादल [[ट्रोपोपाउस]] में स्थित हैं और विभिन्न अक्षांशों की धारियों में व्यवस्थित है, इन्हें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है | इन धारियों को हल्के रंग के क्षेत्रों (''zones'') और गहरे रंग की पट्टियों (''belts'') में उप-विभाजित किया गया है | इन परस्पर विरोधी परिसंचरण आकृतियों की पारस्परिक क्रिया तूफान और अस्तव्यस्तता का कारण होती है | क्षेत्रों में [[पवन]] की गति १०० मीटर/सेकण्ड (३६० कि.मी./घंटा) होना आम बात है | क्षेत्रों की चौड़ाई, रंग और तीव्रता में वर्ष दर वर्ष भिन्नता देखी गयी है लेकिन उनमे इतनी स्थिरता बनी रहती है कि खगोलविद् पहचानकर उन्हें कोई नाम दे सके।
 
बादल परत की गहराई लगभग ५० कि.मी.कि॰मी॰ है और यह बादलों के कम से कम दो पटावों (''decks'') से मिलकर बनी है। एक नीचला मोटा पटाव और एक पतला साफ़ सुथरा क्षेत्र | बृहस्पति के वातावरण में बिजली की चमक के प्रमाण मिलने से लगता है कि अमोनिया परत के भीतर जलीय बादलों की एक पतली परत हो सकती है। बिजली की यह चमक जलीय ध्रुवता (''polarity'') के कारण होती है जो जलीय बादलों को बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक पृथक आवेश बनाने सक्षम बनाती है | यह विद्युतीय चमक पृथ्वी पर होने वाली बिजली की चमक से हजार गुना तक शक्तिशाली हो सकती है | बढ़ती आतंरिक गर्मी से प्रेरित होकर जलीय बादल गरज का रूप ले सकते है।
 
बृहस्पति के बादलों का नारंगी और भूरापन यौगिकों द्वारा उमड़ने के कारण है और रंगों में यह बदलाव तब होता है जब सूर्य का पराबैंगनी प्रकाश इसे उजागर करता है।
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बृहस्पति पर सबसे जानी पहचानी आकृति विशाल लाल धब्बा या ग्रेट रेड स्पोट है | यह पृथ्वी से भी बड़ा एक प्रति चक्रवाती तूफ़ान है जो भूमध्यरेखा के दक्षिण में २२° पर स्थित है | इसके अस्तित्व को सन् १८३१ से या इससे भी पहले सन् १६६५ से जान लिया गया था | गणितीय मॉडल बताते है कि यह तूफ़ान शाश्वत है और इस आकृति का अस्तित्व चिरस्थायी है | इस तूफ़ान का आकार इतना पर्याप्त है कि इसे १२ से.मी. एपर्चर या उससे ज्यादा के भू-आधारित दूरदर्शी से आसानी से देखा जा सकता है |
 
यह अंडाकार धब्बा छः घंटे की अवधि के साथ वामावर्त घूर्णन करता है | इसकी लम्बाई २४ - ४०,००० कि.मी.कि॰मी॰ और चौड़ाई १२ - १४,००० कि.मी.कि॰मी॰ है | यह इतना बड़ा है कि इसमे तीन पृथ्वियां समा जाए | इस तूफ़ान की अधिकतम उंचाई उपरी बादलों से भी ८ कि.मी.कि॰मी॰ ऊपर है |
[[File:NASA14135-Jupiter-GreatRedSpot-Shrinks-20140515.jpg|thumb|right|300px|बृहस्पति के ग्रेट रेड स्पॉट के आकार में कम हो रही है (15 मई 2014)<ref name="NASA-20140515">{{cite web |last=Harrington |first=J.D. |last2=Weaver |first2=Donna |last3=Villard |first3=Ray |title=Release 14-135 - NASA's Hubble Shows Jupiter's Great Red Spot is Smaller than Ever Measured |url=http://www.nasa.gov/press/2014/may/nasas-hubble-shows-jupiters-great-red-spot-is-smaller-than-ever-measured |date=May 15, 2014 |work=[[NASA]] |accessdate=May 16, 2014 }}</ref>]]
 
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== परिक्रमा एवं घूर्णन ==
[[चित्र:Solarsystem3DJupiter.gif|thumb| बृहस्पति ७७ करोड़ ८० लाख कि.मी.कि॰मी॰ की औसत दूरी से सूर्य की परिक्रमा करता है तथा हरेक चक्कर ११.८६ वर्ष में लगाता है]]बृहस्पति एकमात्र [[ग्रह]] है जिसका सूर्य के साथ साझा [[द्रव्यमान केंद्र]] सूर्य के आयतन से बाहर स्थित है |<ref>{{cite book
|author=Herbst, T. M.; Rix, H.-W.|year=1999
|editor=Guenther, Eike; Stecklum, Bringfried; Klose, Sylvio|title=Star Formation and Extrasolar Planet Studies with Near-Infrared Interferometry on the LBT
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अब तक केवल [[गैलिलेयो (अंतरिक्ष यान)|गैलिलियो]] ने बृहस्पति का चक्कर लगाया है, जो ७ दिसम्बर १९९५ को बृहस्पति के चारों ओर की कक्षा में चला गया | इसने सात साल से अधिक ग्रह का चक्कर लगाया, तथा सभी गैलिलियाई चंद्रमाओं और [[ऐमलथीया (उपग्रह)|ऐमलथीया]] की बहु-उड़ानों का वाहक बना | इस अंतरिक्ष यान ने [[धूमकेतु सुमेकर-लेवी ९]] की टक्कर का भी साक्ष्य दिया जब यह १९९४ में बृहस्पति पर पहुंचा और घटना के लिए एक अद्वितीय लाभप्रद अवसर दिया | उच्च-प्राप्ति रेडियो प्रसारण एंटीना की असफल तैनाती के कारण इसकी मूल डिजाइन क्षमता सिमित थी, हालांकि बृहस्पति प्रणाली के बारे में गैलिलियो से प्राप्त जानकारी व्यापक थी |<ref name="galileo">{{cite web|last = McConnell|first = Shannon |date= अप्रैल 14, 2003|url = http://www2.jpl.nasa.gov/galileo/|title = Galileo: Journey to Jupiter|publisher = NASA Jet Propulsion Laboratory|accessdate = 2006-11-28}}</ref>
 
एक वायुमंडलीय प्रविष्ठी यान जुलाई १९९५ में अंतरिक्ष यान से छोड़ा गया था, जिसने ७ दिसम्बर को ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश किया | इसने पैराशूट से वायुमंडल की १५० कि.मी.कि॰मी॰ की यात्रा की, ५७.६ मिनटों के लिए आंकड़े एकत्रित किये और उस दबाव के द्वारा कुचल दिया गया, जिसके अधीन वह उस समय था (१५३ ° से. तापमान पर, पृथ्वी के सामान्य दाब का लगभग २२ गुना) |<ref>{{cite web|first = Julio|last = Magalhães|date = December 10, 1996|url = http://spaceprojects.arc.nasa.gov/Space_Projects/galileo_probe/htmls/probe_events.html|title = Galileo Probe Mission Events|publisher = NASA Space Projects Division|accessdate = 2007-02-02}}</ref>उसके बाद वह पिघल गया होगा और संभवतः वाष्पीकृत हो गया होगा | गैलीलियों यान ने भी दुर्भाग्य से इसी तरह के इससे भी अधिक द्रुत परिवर्तन का अनुभव किया, जब २१ सितम्बर २००३ को इसे जानबूझ कर ५० कि.मी./ सेकण्ड से अधिक वेग से इस ग्रह की ओर चलाया गया, यह आत्मघाती कदम एक उपग्रह को भविष्य की किसी भी संभावित दुर्घटना से और संभवतः दूषित होने से बचाने के लिए उठाया गया था और यह उपग्रह है, युरोपा - एक चाँद जिसमें जीवन को शरण देने की संभावना है, ऐसी धारणा रही है |<ref name="galileo" />
 
==== भविष्य के प्रोब और रद्द मिशन ====
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{{main|बृहस्पति के उपग्रह}}
 
बृहस्पति के ६६ प्राकृतिक उपग्रह है, इनमें से १० कि.मी.कि॰मी॰ से कम व्यास के ५० उपग्रह है और इन सभी को १९७५ के बाद खोजा गया है | चार सबसे बड़े चन्द्रमा आयो, युरोपा, गैनिमीड और कैलिस्टो, [[गैलिलीयन चन्द्रमा]] के नाम से जाने जाते है |
 
=== गैलिलीयन चन्द्रमा ===
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|[[Inner satellites of Jupiter|अंदरूनी समूह]]<br /> Inner group
|अंदरूनी समूह के सभी चारों चंद्रमाओं का व्यास २०० कि.मी.कि॰मी॰ से कम, कक्षीय त्रिज्या २,००,००० कि.मी.कि॰मी॰ से कम और कक्षीय झुकाव आधा डिग्री से कम है।
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|[[गैलिलीयन चन्द्रमा]]<ref>{{cite journal
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| pmid = 10506564
}}</ref>
|इन चारो ग्रहों की खोज गैलीलियों गैलिली द्वारा और सिमोन मारियास द्वारा समानांतर की गई थी, इसकी कक्षा ४,००,००० कि.मी.कि॰मी॰ और २०,००,००० कि.मी.कि॰मी॰ के बीच है, तथा यह सौरमंडल के कुछ बड़े चंद्रमाओं में से है।
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!colspan="2"|अनियमित चन्द्रमा
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|[[हिमालीया समूह]]<br />Himalia group
|यह सघन सटे चंद्रमाओं का समूह है, १,१०,००,००० - १,२०,००,००० कि.मी.कि॰मी॰ दूरी से बृहस्पति का चक्कर लगाते है।
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|[[कार्पो]]<br />Carpo
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|[[अनांके समूह]]<br />Ananke group
|इस [[प्रतिगामी चाल|प्रतिगामी कक्षा]] समूह की सीमा अस्पष्ट है, बृहस्पति से औसत दूरी २,१२,७६,००० कि.मी.कि॰मी॰ के साथ औसत झुकाव १४९ डिग्री है।
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|[[कार्मे समूह]]<br />Carme group
|यह एक काफी अलग प्रतिगामी समूह है, बृहस्पति से औसत दूरी २,३४,०४,००० कि.मी.कि॰मी॰ के साथ औसत झुकाव १६५ डिग्री है।
 
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