"पूर्णागिरी मेला": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Maa purna giri.jpg||200px|thumb|आं अन्नपूर्णा]]
[[नैनीताल]] जनपद के पड़ोस में और [[चंपावत]] जनपद में अवस्थित [[पूर्णागिरी]] का मंदिर अन्नपूर्णा शिखर पर ५५०० फुट की ऊँचाई पर है। कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी सती की नाभि का भाग यहाँ पर विष्णु चक्र से कट कर गिरा था। प्रतिवर्ष इस शक्ति पीठ की यात्रा करने आस्थावान श्रद्धालु कष्ट सहकर भी यहाँ आते हैं। यह स्थान टनकपुर से मात्र १७ कि.मी.कि॰मी॰ की दूरी पर है। अन्तिम १७ कि.मी.कि॰मी॰ का रास्ता श्रद्धालु अपूर्व आस्था के साथ पार करते हैं।
 
लेकिन [[शरद ॠतु]] की नवरात्रियों के स्थान पर मेले का आनंद चैत्र की नवरात्रियों में ही अधिक लिया जा सकता है क्योंकि वीरान रास्ता व इसमें पड़ने वाले छोटे-छोटे गधेरे मार्ग की जगह-जगह दुरुह बना देते हैं। चैत्र की नवरात्रियों में लाखों की संख्या में भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहाँ आते हैं। अपूर्व भीड़ के कारण यहाँ दर्शनार्थियों का ऐसा ताँता लगता है कि दर्शन करने के लिए भी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। मेला बैसाख माह के अन्त तक चलता है।