"घनानन्द": अवतरणों में अंतर
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== कलापक्ष ==
घनानंद भाषा के धनी थे। उन्होंने अपने काव्य में ब्रजभाषा का प्रयोग किया
घनानंद ने अपने काव्य में अलंकारो का प्रयोग अत्यंत सहज ढंग से किया
अलंकर है । आचार्य विश्वनाथ ने उनके बारे में लिखा है ।"विरोधाभास के अधिक प्रयोग से उनकी कविता भरी पड़ी है ।
जहाँ इस प्रकार की कृति दिखाई दे, उसे निःसंकोच इनकी कृति घोषित किया जा सकता है ।"
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