"उत्तर भारत": अवतरणों में अंतर

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'''उत्तरी भारत''' में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें,jhykuhlkj.j.jlइसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। यह [[भारत]] का उत्तरी क्षेत्र है। प्रधान भौगोलिक अंगों में [[गंगा के मैदान]] और [[हिमालय पर्वतमाला]] आती है। यही पर्वतमाला भारत को [[तिब्बत]] और [[मध्य एशिया]] के भागों से पृथक करती है। उत्तरी भारत [[मौर्य]], [[गुप्त]], [[मुगल]] एवं [[ब्रिटिश]] साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहां बहुत से [[हिन्दू तीर्थ]] जैसे पर्वतों में [[गंगोत्री]] से लेकर मैदानों में [[वाराणासी]] तक हैं, तो [[मुस्लिम]] तीर्थ जैसे [[अजमेर]][ आदि भि हैं। यहां [[विश्व धरोहर स्थल]] भी अनेक हैं, जैसे [[महाबोधि मंदिर]], [[हुमायुं का मकबरा]] और सर्वश्रेष्ठ [[ताजमहल]]। [[भारत सरकार]] द्वारा परिभाषित उत्तरी और उत्तर-मध्य क्षेत्र में [[जम्मू एवं कश्मीर]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[उत्तराखंड]], [[हरियाणा]], [[पंजाब (भारत)|पंजाब]], [[राजस्थान]], [[उत्तर प्रदेश]], [[बिहार]], [[झारखंड]], [[छत्तीसगढ़]] तथा [[मध्य प्रदेश]] राज्य आते हैं। यहां के प्रमुख शहरों में [[नई दिल्ली]], [[कानपुर]], [[जयपुर]], [[लखनऊ]], [[इंदौर]], [[लुधियाना]], [[चंडीगढ़]] आदि आते हैं। यहां बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएं हैं[[हिन्दी]], [[पंजाबी]], [[कश्मीरी]], [[डोगरी]], [[उर्दु]], [[मैथिली]], [[संथाली]], [[अंग्रेज़ी]]।
 
यहां के मैदान [[सिंधु]], [[गंगा]] और [[ब्रह्मपुत्र]] नदियों द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है। इस मैदान की पूर्व से पश्चिम लंबाई लगभग 3200 किलो मीटर है। इसकी औसत चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर है। जलोढ़ निक्षेप की अधकतम गहराई 1000 से 2000 मीटर है। उत्तर से दक्षिण दिशा में इन मैदानों को तीन भागों में बाँट सकते हैं भाभर, तराई और जलोढ़ मैदान। जलोढ़ मैदान को आगे दो भागों में बाँटा जाता है- खादर और बाँगर। भाभर 8 से 10 किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी है जो शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई है। उसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे- बड़े शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती हैं। भाभर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिसकी चौड़ाई 10 से 20 किलोमीटर है। भाभर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में ध्रातल पर निकल कर प्रकट होती हैं और क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएँ नहीं होती, ये क्षेत्र अनूप बन,jhjhh,n,hkykhlkjvjgihबन जाता है, जिसे तराई कहते हैं। यह क्षेत्र प्राकॄतिक वनस्पति से ढका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है। तराई से दक्षिण में मैदान है जो पुराने और नए जलोढ़ से बना होने के कारण बाँगर और खादर कहलाता है।
 
इस मैदान में नदी की प्रौढ़ावस्था में बनने वाली अपरदनी और निक्षेपण स्थलाकॄतियाँ, जैसे- बालू-रोधका, विसर्प, गोखुर झीलें और गुंफित नदियाँ पाई जाती हैं। ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान नदीय द्वीप और बालू-रोधकाओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है। यहाँ ज्यादातर क्षेत्र में समय पर बाढ़ आती रहती है और नदियाँ अपना रास्ता बदल कर गुंफित वाहिकाएँ बनाती रहती हैं। उत्तर भारत के मैदान में बहने वाली विशाल नदियाँ अपने मुहाने पर विश्व के बड़े-बड़े डेल्टाओं का निर्माण करती हैं, जैसे- सुंदर वन डेल्टा। सामान्य तौर पर यह एक सपाट मैदान है जिसकी समुद्र तल से औसत ऊँचाई 50 से 100 मीटर है। हरियाणा और दिल्ली राज्य सिंधु और गंगा नदी तंत्रों के बीच जल-विभाजक है। ब्रह्मपुत्र नदी अपनी घाटी में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। परंतु बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले धुबरी के समीप यह नदी दक्षिण की ओर 90° मुड़ जाती है। ये मैदान उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी से बने हैं। जहाँ कई प्रकार की फसलें, जैसे-गेहूँ, चावल, गन्ना और जूट उगाई जाती हैं। अत: यहाँ जनसंख्या का घनत्व ज्यादा है।