"पक्षीविज्ञान": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो →बाहरी कड़ियाँ: French spelling (François-Nicolas Martinet: fr:François-Nicolas Martinet) |
छो →इतिहास: Latin spelling (Carolus Linnaeus: lt:Carolus Linnaeus) |
||
पंक्ति 7:
[[चार्ल्स डार्विन]] के [[विकासवाद]] के सिद्धांत ने पक्षीविज्ञान तथा जीवविज्ञान की अन्य शाखाओं में बहुत ही क्रांति पैदा की है। जिन दिनों प्राणिविज्ञान के अन्य वर्गों के विशेषज्ञ नई जाति के वर्णन में व्यस्त रहे, पक्षीविज्ञानवेत्ता पक्षियों की जाति के सूक्ष्म अंतरों का पता लगाने में और इस बात की खोज में लगे थे कि प्रकृति में नई जाति के जीवों का अभ्युदय कैसे होता है। पक्षियों के अध्ययन से आजकल इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि प्राणियों की नई जाति की उत्पत्ति उनके भौगोलिक अलगाव द्वारा होती है और यही कारण है कि सब प्राणियों के वैज्ञानिक नामकरण के तृतीय खंड में भौगोलिक स्थान का समावेश हो गया है।
जीवों के वैज्ञानिक नामकरण से, जिससे किसी भी देश और भाषा के वैज्ञानिक प्राणियों तथा पक्षियों की जाति को पहचान सकें, जीवविज्ञान में बहुत बड़ी प्रगति हुई है। जीवों के वैज्ञानिक नामकरण की पद्धति स्वीडेन निवासी कैरोलस लीनियस (
== भारतीय संस्कृति में पक्षी ==
|