"रामनरेश त्रिपाठी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
चंद्र शेखर (वार्ता | योगदान) छो →जीवनी: नये उपखंड बनाए, जानकारी जोडी। |
चंद्र शेखर (वार्ता | योगदान) नई सामग्री जोडी गई। |
||
पंक्ति 1:
{{ज्ञानसन्दूक लेखक
| नाम = पं० रामनरेश त्रिपाठी
| चित्र =
| चित्र आकार = 200px
| चित्र शीर्षक =
| उपनाम =
| जन्मतारीख़ = ४ मार्च, १९८९
| जन्मस्थान = [[सहारनपुर]], [[उत्तर प्रदेश]], [[भारत]]
| मृत्युतारीख़ = १६ जनवरी, १९६२
| मृत्युस्थान = [[इलाहाबाद]], [[उत्तर प्रदेश]], [[भारत]]
| कार्यक्षेत्र = अध्यापक, लेखक, स्वतन्त्रता सेनानी
| राष्ट्रीयता = [[भारत|भारतीय]]
| भाषा = [[हिन्दी]]
| काल = [[पूर्व छायावादी युग]]<!--is this for her writing period, or for her life period? I'm not sure...-->
| विधा = गद्य और पद्य
| विषय = [[कविता]], [[उपन्यास]], [[नाटक]], [[बाल साहित्य]]
| आन्दोलन = [[छायावादी युग|छायावाद]] व <br />[[रहस्यवाद]]
| प्रमुख कृति = [[पथिक]] १९२० ई., [[कविता कौमुदी]], [[मिलन]] १९१७ ई., [[स्वपनों के चित्र]] १९३० ई.
| प्रभाव डालने वाला = <!--यह लेखक किससे प्रभावित होता है-->
| प्रभावित = <!--यह लेखक किसको प्रभावित करता है-->
| हस्ताक्षर =
| जालपृष्ठ =
| टीका-टिप्पणी =
| मुख्य काम =
}}
'''रामनरेश त्रिपाठी''' (4 मार्च, 1889 - 16 जनवरी, 1962) [[हिन्दी]] भाषा के 'पूर्व [[छायावादी युग|छायावाद युग]]' के [[कवि]] थे। कविता, कहानी, उपन्यास, जीवनी, संस्मरण, बाल साहित्य सभी पर उन्होंने कलम चलाई। अपने 72 वर्ष के जीवन काल में उन्होंने लगभग सौ पुस्तकें लिखीं। ग्राम गीतों का संकलन करने वाले वह हिंदी के प्रथम कवि थे जिसे ''कविता कौमुदी'' के नाम से जाना जाता है। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्होंने गांव-गांव जाकर, रात-रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर सोहर और विवाह गीतों को सुना और चुना। वह [[महात्मा गांधी|गांधी]] के जीवन और कार्यो से अत्यंत प्रभावित थे। उनका कहना था कि मेरे साथ गांधी जी का प्रेम 'लरिकाई को प्रेम' है और मेरी पूरी मनोभूमिका को सत्याग्रह युग ने निर्मित किया है। 'बा और बापू' उनके द्वारा लिखा गया हिंदी का पहला एकांकी नाटक है।
Line 20 ⟶ 45:
===साहित्य कृतित्व===
त्रिपाठी जी एक बहुमुखी प्रतिभा वाले साहित्यकार माने जाते हैं। द्वेदी युग के सभी प्रमुख प्रवृत्तियाँ उनकी कविताओं में मिलती हैं। [[फतेहपुर]] में पं॰ त्रिपाठी की साहित्य साधना की शुरुआत होने के बाद उन्होंने उन दिनों तमाम छोटे-बडे बालोपयोगी काव्य संग्रह, सामाजिक उपन्यास और हिन्दी में [[महाभारत]] लिखे। उन्होंने हिन्दी तथा संस्कृत के सम्पूर्ण साहित्य का गहन अध्ययन किया। त्रिपाठी जी पर तुलसीदास व उनकी अमर रचना [[रामचरित मानस]] का गहरा प्रभाव था, वह मानस को घर घर तक पहुँचाना चाहते थे। [[बेढब बनारसी]] ने उनके बारे में कहा था..
{{quote|''तुम तोप और मैं लाठी <br>तुम रामचरित मानस निर्मल, मैं रामनरेश त्रिपाठी।''}}
वर्ष 1915 में पं॰ त्रिपाठी ज्ञान एवं अनुभव की संचित पूंजी लेकर पुण्यतीर्थ एवं ज्ञानतीर्थ [[प्रयाग]] गए और उसी क्षेत्र को उन्होंने अपनी कर्मस्थली बनाया। थोडी पूंजी से उन्होंने [[प्रकाशन]] का व्यवसाय भी आरम्भ किया। पंडित त्रिपाठी ने गद्य और पद्य का कोई कोना अछूता नहीं छोडा तथा मौलिकता के नियम को ध्यान में रखकर रचनाओं को अंजाम दिया। हिन्दी जगत में वह मार्गदर्शी [[साहित्यकार]] के रूप में अवरित हुए और सारे देश में लोकप्रिय हो गए।
उन्होंने वर्ष 1920 में 21
[[कविता कौमुदी]] के सात विशाल एवं अनुपम संग्रह-ग्रंथों का भी उन्होंने बडे परिश्रम से सम्पादन एवं प्रकाशन किया।
Line 37 ⟶ 62:
रामनरेश त्रिपाठी की चार काव्य-कृतिया मुख्य रूप से उल्लेखनीय है -
*"मिलन" (1918)
*"पथिक" (
*"मानसी" (1927) और
*"स्वप्न" (1929) १५ दिनों में रचित '''*'''''
<nowiki> </nowiki>पं. रामनरेश त्रिपाठी जी की अन्य प्रमुख कृतियां इस प्रकार हैं<ref>{{Cite web|url = http://www.hindibhawan.com/linkpages_hindibhawan/gaurav/links_HKG/HKG34.htm|title = हिंदी के गौरव: रामनरेश त्रिपाठी|accessdate = २०१५-०६-२६|publisher = हिन्दी भवन}}</ref>-
Line 47 ⟶ 72:
(काव्य) प्रबंधः मिलन, पथिक, स्वप्न।
कहानी : तरकस, आखों देखी
उपन्यास : वीरांगना, वीरबाला, मारवाड़ी और पिशाचनी, सुभद्रा और लक्ष्मी।
Line 55 ⟶ 80:
व्यंग्यः दिमाग़ी ऐयाशी, स्वप्नों के चित्र।
अनुवाद: इतना तो जानो (अटलु तो जाग्जो - गुजराती से), कौन जागता है (गुजराती नाटक)।
उन्होने गाँव–गाँव, घर–घर घूमकर रात–रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर [[सोहर]] और [[विवाह गीत|विवाह गीतों]] को चुन–चुनकर उनसे ‘कविता कौमुदी’ संकलन तैयार किया।▼
▲उन्होने गाँव–गाँव, घर–घर घूमकर रात–रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर [[सोहर]] और [[विवाह गीत|विवाह गीतों]] को चुन–चुनकर
=== प्रसिद्ध कृतियाँ ===
|