"संधि शोथ": अवतरणों में अंतर
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संधिशोथ '''सौ''' से भी अधिक प्रकार के होते हैं। [[अस्थिसंधिशोथ]] (osteoarthritis) इनमें सबसे व्यापक है। अन्य प्रकार के संधिशोथ हैं - [[आमवातिक संधिशोथ]] या 'रुमेटी संधिशोथ' (rheumatoid arthritis), [[सोरियासिस संधिशोथ]] (psoriatic arthritis)।
संधिशोथ में रोगी को आक्रांत संधि में असह्य पीड़ा होती है, नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, ज्वर होता है, वेगानुसार संधिशूल में भी परिवर्तन होता रहता है। इसकी उग्रावस्था में रोगी एक ही आसन पर स्थित रहता है, स्थानपरिवर्तन तथा आक्रांत भाग को छूने में भी बहुत कष्ट का अनुभव होता है। यदि सामयिक उपचार न हुआ, तो रोगी खंज-लुंज होकर रह जाता है। संधिशोथ प्राय: उन व्यक्तियों में अधिक होता है जिनमें रोगरोधी क्षमता बहुत कम होती है। स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान रूप से यह रोग आक्रांत करता
== प्रकार ==
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