"रामनरेश त्रिपाठी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 30:
== जीवनी ==
===जन्म एवं प्रारम्भिक शिक्षा===
[[उत्तर प्रदेश]] के '''[[सुल्तानपुर]]''' जिले के ग्राम [[कोइरीपुर]] में 4 मार्च, 1889 ई.<ref name=":1">{{Cite web|url = http://www.abhivyakti-hindi.org/sansmaran/vyaktitva/ramnaresh_tripathi.htm|title = रचनाधर्मिता के बृहस्पति- रामनरेश त्रिपाठी|author = अवध वैरागी|publisher = abhivyakti-hindi.org|date = १७ फरवरी २०१४|accessdate = २६ जून २०१५}}</ref> को एक कृषक परिवार में जन्मे रामनरेश त्रिपाठी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व अत्यन्त प्रेरणादायी था। उनके पिता पं॰ रामदत्त त्रिपाठी धार्मिक व सदाचार परायण [[ब्राह्मण]] थे। भारतीय सेना में [[सूबेदार]] के पद पर रह चुके पंडित रामदत्त त्रिपाठी का रक्त पंडित रामनरेश त्रिपाठी की रगों में धर्मनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा व राष्ट्रभक्ति की भावना के रूप में बहता था। दृढ़ता, निर्भीकता और आत्मविश्वास के गुण उन्हें अपने परिवार से ही मिले थे।
पं. त्रिपाठी की प्रारम्भिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल में हुई। कनिष्ठ कक्षा उत्तीर्ण कर हाईस्कूल वह निकटवर्ती [[जौनपुर]] जिले में पढ़ने गए मगर वह दसवीं की शिक्षा पूरी नहीं कर सके। अट्ठारह वर्ष की आयु में पिता से अनबन होने पर वह [[कोलकाता|कलकत्ता]] चले गए।
===युवा काल===
Line 45 ⟶ 42:
===साहित्य कृतित्व===
त्रिपाठी जी एक बहुमुखी प्रतिभा वाले साहित्यकार माने जाते हैं।
{{quote|''तुम तोप और मैं लाठी <br>तुम रामचरित मानस निर्मल, मैं रामनरेश त्रिपाठी।''}}
Line 61 ⟶ 58:
== कृतियाँ ==
रामनरेश त्रिपाठी की चार काव्य-कृतिया मुख्य रूप से उल्लेखनीय है -
*"मिलन" (1918) १३ दिनों में रचित
Line 69 ⟶ 65:
<nowiki> </nowiki>पं. रामनरेश त्रिपाठी जी की अन्य प्रमुख कृतियां इस प्रकार हैं<ref>{{Cite web|url = http://www.hindibhawan.com/linkpages_hindibhawan/gaurav/links_HKG/HKG34.htm|title = हिंदी के गौरव: रामनरेश त्रिपाठी|accessdate = २०१५-०६-२६|publisher = हिन्दी भवन}}</ref>-
'''मुक्तक''' : मारवाड़ी मनोरंजन, आर्य संगीत शतक, कविता-विनोद, क्या होम रूल लोगे, मानसी।
'''(काव्य) प्रबंधः''' मिलन, पथिक, स्वप्न।
'''कहानी''' : तरकस, आखों देखी कहानियां, स्वपनों के चित्र, नखशिख, उन बच्चों का क्या हुआ..? २१ अन्य कहानियाँ।
'''उपन्यास''' : वीरांगना, वीरबाला, मारवाड़ी और पिशाचनी, सुभद्रा और लक्ष्मी।
'''नाटक''' : जयंत, प्रेमलोक, वफ़ाती चाचा, अजनबी, पैसा परमेश्वर, बा और बापू, कन्या का तपोवन।
'''अनुवाद''' : इतना तो जानो (अटलु तो जाग्जो - गुजराती से), कौन जागता है (गुजराती नाटक)।
उन्होने गाँव–गाँव, घर–घर घूमकर रात–रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर [[सोहर]] और [[विवाह गीत|विवाह गीतों]] को चुन–चुनकर लगभग १६ वर्षों के अथक परिष्र्म से ‘कविता कौमुदी’ संकलन तैयार किया। जिसके ६ भाग उन्होंने १९१७ से लेकर १९३३ तक प्रकाशित किए।<ref name=":2" />
Line 87 ⟶ 83:
=== प्रसिद्ध कृतियाँ ===
: शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए। : लीजिए हमको शरण में, हम सदाचारी बनें, : ब्रह्मचारी, धर्मरक्षक, वीरव्रत धारी बनें। -- '' रामनरेश त्रिपाठी'' :पता नहीं है जीवन का रथ किस मंजिल तक जाये।
:मन तो कहता ही रहता है, नियराये- :कर बोला जिह्वा भी बोली, पांव पेट भर धाये।
:जीवन की अनन्त धारा में सत्तर तक बह :चले कहां से कहां आ गये, क्या-क्या किये कराये।
:यह चलचित्र देखने ही को अब तो खाट- :जग देखा, पहचान लिए सब अपने और पराये।
:मित्रों का उपकृत हूँ जिनसे नेह निछावर :प्रिय निर्मल जी! पितरों पर अब कविता कौन बनाये?
:मैं तो स्वयं पितर बनने को बैठा हूँ मुँह बाये। ▲<nowiki> </nowiki>--- ८ अप्रैल, १९५८, कोइरीपुर '''([[सुल्तानपुर]])''', रामनरेश त्रिपाठी
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
==बाहरी कड़ियाँ==
[[श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार]]
[[श्रेणी:कवि]]
|