"आपेक्षिकता सिद्धांत": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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द्रव्यमान का संबंध भौतिकी में दो प्रकार से आता है। किसी पिंड पर जब [[बल]] कार्य करता है तब पिंड का स्थान बदलता है और उसका [[वेग]] बदलता है। जब तक बल कार्य करता है तब तक पिंड को [[त्वरण]] मिलता है। यांत्रिकी के नियमों के अनुसार बल (F), पिंड का द्रव्यमान (m) और त्वरण (a) में निम्नलिखित संबंध है :
:
इस समीकरण में जो द्रव्यमान '''m''' है उसको जड़त्व या आश्रित (अथवा अवस्थितित्वीय) द्रव्यमान कहते हैं। द्रव्यमान का दूसरा संबंध [[न्यूटन]] के गुरुत्त्वीय क्षेत्र में आता है। न्यूटन द्वारा दिये गये गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के अनुसार यदि दो द्रव्यमान, '''m1''' तथा '''m2''', दूरी '''
: '''F = G m1 m2 / r<sup>2</sup>''' -- (२)
इस समीकरण में '''G''' गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक है। यदि हम '''m1''' को [[पृथ्वी]] का द्रव्यमान समझें और '''m2''' को धरती के पास स्थित किसी अन्य पिंड का द्रव्यमान समझें तो
== इन्हें भी देखें ==
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