"सत्येन्द्र नारायण सिन्हा": अवतरणों में अंतर
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== व्यक्तिगत जीवन ==
== राजनीतिक जीवन ==
स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी के बाद देश की आज़ादी के समय राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम वज़नदार हो चुका था। उन्होंने छठे और सातवें दशक में [[बिहार]] की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभायी। सत्येन्द्र बाबू 1961 में बिहार के शिक्षा मंत्री बने जो उप मुख्यमंत्री के हैसियत में थे। उन्होंने राजनीति के लिए मानवीय अनुभूतियों को तिलांजलि दे दी, शिक्षा मंत्री के रूप में शैक्षणिक सुधार किया, साथ ही [[मगध]] [[विश्वविद्यालय]] की स्थापना की।
[[File:Bihar academicians Satyendra Narayan Sinha Jayanti.jpg|366px|thumb|left| महान स्वतंत्रता सेनानी, भारतीय राजनेता और बिहार के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय श्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा (छोटे साहब) का जयंती समारोह]] वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए चर्चित हुआ करते थे। सत्येन्द्र बाबू ने बिहार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई। अपने छह दशक के राजनीतिक जीवन में छोटे साहब ने कई मील के पत्थर स्थापित किए। युवाओं और छात्रों को राजनीति में आने के लिए मोटिवेट किया। सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के प्रोत्साहन पर आपातकाल आन्दोलन से नितीश कुमार, नरेन्द्र सिंह, रामजतन सिन्हा, लालू प्रसाद यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह, सुशिल कुमार मोदी, रामविलास पासवान और सुबोधकान्तसहाय सरीखें तात्कालीन युवा नेता निकले|इन्होंने वर्ष 1988 में पटना के ऐतिहासिक तारामंडल की आधारशिला रखी| == जीवनी ==
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