"नरेन्द्रमण्डल": अवतरणों में अंतर

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==अवलोकन==
[[नरेंद्र मंडल]] की स्थापना सन 1920 में ब्रिटेन के राजा सम्राट जौर्ज (पंचम) के शाही फ़रमान द्वारा 23 दिसम्बर 1919 को हुई थी जब 1919 के '''भारत सरकार अधीनियम''' को ग्रेट ब्रिटेन के संसद में पारित कर दिया गया और उसे ब्रिटेन के राजा द्वारा शाही स्वीकृती मिल गई थी। इस सदन के स्थापना के साथ ही ब्रिटिश सरकार की उस नीती का भी अंत हो गया जिस्के तहत वह ब्रिटिश-संरक्षित भारतीय रियाषतों को एक-दूसरे से व विश्व के अन्य देशों से भी आलग रखती थी। [[नरेंद्र मंडल]] की पहली बैठक 8 फ़रवरी 1921 को हुई थी। <ref>बार्बरा एन. रैमस्सैक की ''The Princes of India in the Twilight of Empire: Dissolution of a Patron-client System, 1914–1939'' (ओहायो राज्य विश्वविद्ध्यालय, 1978) p. xix</ref>
 
शुरुआती दिनों में इस सदन में कुल 120 सदस्य थे। इनमें से 108 सदस्यों को स्थाई सदस्यता हासिल थी। यह सौभाग्य कवल महतवपूर्ण व सार्थक साशनों को हासिल थी। अन्य बचे हुए 12 सीटें, आवर्ती आधार पर, आन्य 127 आस्थाई रियासतों का प्रतिनिधित्व करते थे। इस प्रतिनिधित्व प्रणाली में भारत की कुल 562 रियासतों में से 327 छोटी रियासतों का प्रतिनिधित्व के लिये कोई जगह नहीं थी। इन असार्थक रायासतों का नरेंश मंडल में में प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता था। इसके अलावा कुछ बहुत महत्वपूर्ण रियासतों ने(जैसे की बडोदा, ग्वालियर और इंदौर रियासतें) इसकी सदस्यता लेने से इनकार कर दिया था। इस सदन की बैठकें " [[संसद भवन]] " के तीसरे कक्ष में होती थी जिसे अब "सांसदीय पुस्तकालय" में परिवर्तित कर दिया गया है। <ref>en.wikipedia.org/wiki/Chamber_of_Princes</ref>
 
यह सभा साल में केवल एक बार, ब्रिटिश भारत के राजप्रतिनीधी(वाइसराॅय) की अध्यक्षता में, बुलाई जाती थी। इन बैठकों में रियासतों के साशक ब्रिटिश सरकार के समक्ष आपने प्रस्ताव रखते थे। इस्के गठन का मूल उद्देश्य [[ब्रिटिशकालीन भारत की रियासतें|ब्रिटिश-संरक्षित भारतीय रियासतों]] को एक ऐसा मंच प्रदान करना था जहां वे ब्रिटिश सरकार के समक्ष अपनी आशाओं और आकांशाओं को प्रस्तुत कर सकें। यह सभा एक स्थाइ समिति को नियुक्त करती थी और एक कुलाधिपति का चुनाव करती थी जिसका काम स्थाइ समिति की अध्यक्षता करना था। यह समिती अधिक बार एकत्रित होती थी और इसका काम सभा में लिये गए विभिन्न प्रस्तावों को कार्यान्वित करना था।
 
==कुलाधिपतियों की सुची==
कुलाधिपती, नरेंद्रमण्डल की स्थाइ समिति के अध्यक्ष को कहा जाता था। जिसे अंग्रेज़ी में "चांसलर" कहा जाता था। निम्न वषय-सुची नरेंद्रमण्डल की स्थाई समिति के कुलाधिपतियों की सुची है।