"वृक्क अश्मरी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो Devarsh Panchal (Talk) के संपादनों को हटाकर Sanjeev bot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत... |
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन |
||
पंक्ति 3:
'''वृक्क अश्मरी''' या '''गुर्दे की पथरी''' (वृक्कीय कैल्कली, नेफरोलिथियासिस) ([[अंग्रेजी]]:Kidney stones) मूत्रतंत्र की एक ऐसी स्थिति है जिसमें, [[वृक्क]] (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर सदृश कठोर वस्तुओं का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ बिना किसी तकलीफ [[मूत्रमार्ग]] से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं, किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं (२-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है।
यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में [[मूत्राशय]] की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। आज भारत के प्रत्येक
एवम् अश्मरी से पीड़ित रोगी को काफ़ी मात्रा में पानी पीना चाहिए।
जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं।
|