"परवीन शाकिर": अवतरणों में अंतर

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| website =http://parveenpoetry.blogspot.com/
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'''सैयदा परवीन शाकिर''' ({{lang-ur|{{Script/Nastaliq|[[उर्दू]]: پروین شاکر}}}}) (24 नवंबर 1952 – 26 दिसंबर 1994), एक [[उर्दू]] कवयित्री, शिक्षक और पाकिस्तान की सरकार की सिविल सेवा में एक अधिकारी थीं। इनकी प्रमुख कृतियाँ खुली आँखों में सपना, ख़ुशबू, सदबर्ग, इन्कार, रहमतों की बारिश, ख़ुद-कलामी, इंकार(१९९०), माह-ए-तमाम (१९९४) आदि हैं।<ref>[http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9A%E0%A5%80 कविताकोश में परवीन शाकिर का परिचय और रचनाएँ]</ref>वे उर्दू शायरी में एक युग का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनकी शायरी का केन्द्रबिंदु स्त्री रहा है। फ़हमीदा रियाज़ के अनुसार ये पाकिस्तान की उन कवयित्रियों में से एक हैं जिनके शेरों में लोकगीत की सादगी और लय भी है और क्लासिकी संगीत की नफ़ासत भी और नज़ाकत भी। उनकी नज़्में और ग़ज़लें भोलेपन और सॉफ़िस्टीकेशन का दिलआवेज़ संगम है। पाकिस्तान की इस मशहूर शायरा के बारे में कहा जाता है, कि जब उन्होंने 1982 में सेंट्रल सुपीरयर सर्विस की लिखित परीक्षा दी तो उस परीक्षा में उन्हीं पर एक सवाल पूछा गया था जिसे देखकर वह आत्मविभोर हूँ गयी थी।<ref>[http://www.bbc.com/hindi/news/2011/11/111124_parveen_shakir_rf.shtml कोमल एहसासों की शायरा परवीन शाकिर](बीबीसी हिंदी, लेखक: रेहान फ़ज़ल)</ref>
==सन्दर्भ==
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